Mumbai: महाराष्ट्र में एक बार फिर भाषा को लेकर विवाद गरमा गया है. इस बार यह विवाद सिनेमा जगत से जुड़ा है, जिसमें बॉलीवुड फिल्म 'सयारा' भी घिरती नजर आ रही है. मोहित सूरी के निर्देशन में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन अब इसे मराठी फिल्मों को स्क्रीन न मिलने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है.
ये है आरोप
एमएनएस चित्रपट सेना के अध्यक्ष अमेय खोपकर ने आरोप लगाया है कि 'सयारा' जैसी हिंदी फिल्मों के कारण मराठी फिल्म 'येरे येरे पैसा 3' को पर्याप्त स्क्रीन नहीं मिल पा रहे हैं. खास बात यह है कि इस मराठी फिल्म के निर्माता खुद अमेय खोपकर ही हैं. उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर मराठी फिल्मों के साथ भविष्य में भी ऐसा अन्याय हुआ तो मल्टीप्लेक्स मालिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
मराठी सिनेमा को मिले उसका हक- खोपकर
खोपकर का कहना है कि मराठी सिनेमा को उसका हक मिलना चाहिए और अगर एक भी मराठी फिल्म को शो से हटाया गया तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा. एमएनएस की यह मांग अब राजनीतिक रंग भी लेती दिख रही है, क्योंकि शिवसेना नेता संजय राउत ने भी इस मांग का समर्थन किया है.
हालांकि, फिल्म विश्लेषक गिरीश वानखेड़े इन आरोपों से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि कोई भी मल्टीप्लेक्स या सिनेमाघर ऐसी फिल्म को नहीं हटाता जो अच्छा कलेक्शन कर रही हो. उनका मानना है कि 'सयारा' को लोग देखने आ रहे हैं, इसलिए वह स्क्रीन पर बनी हुई है.
दर्शकों की भी राय आई सामने
इस बीच, दर्शकों की भी राय सामने आ रही है, जो स्पष्ट रूप से भाषाई विविधता का समर्थन करते हैं. लोगों का कहना है कि मल्टीप्लेक्स में सभी भाषाओं की फिल्मों को समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह हिंदी हो, मराठी या कोई और भाषा. कुछ दर्शकों ने यह भी कहा कि वे खुद मराठी फिल्में नहीं देखते, लेकिन फिर भी चाहते हैं कि मराठी भाषी दर्शकों को अपनी भाषा की फिल्में देखने का पूरा हक मिले.
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