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Maratha Reservation Updates
Maratha Reservation Updates: देश में बढ़ते सियासत के बीच मराठा आरक्षण की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 16 सितंबर की मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने की घोषणा की है. जरांगे की यह मांग है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल किया जाए ताकि उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके. इस मांग के समर्थन में वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं और अब अपने आंदोलन को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए अनशन का सहारा ले रहे हैं.
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कुनबी समुदाय और मराठा आरक्षण
आपको बता दें कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की यह मांग नई नहीं है. फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित किया था. हालांकि, जरांगे का जोर इस बात पर है कि मराठों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाए. उनका मानना है कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करना उनके अधिकारों और जरूरतों को पूरा करने का एक स्थायी समाधान होगा.
वहीं आपको बता दें कि जरांगे की मांग है कि कुनबी, जो कि एक कृषक समुदाय है और पहले से ही ओबीसी श्रेणी में आता है, साथ ही समान मराठों को भी कुनबी प्रमाण पत्र जारी किया जाए. उनका कहना है कि मराठा और कुनबी समुदायों के बीच गहरे संबंध हैं और सभी मराठा परिवारों को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए ताकि वे आरक्षण का लाभ उठा सकें.
अनशन का एलान और मराठवाड़ा का ऐतिहासिक संदर्भ
साथ ही आपको बता दें कि जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में मीडिया से बातचीत करते हुए जरांगे ने कहा कि वे 16 सितंबर की मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने जा रहे हैं. उन्होंने 17 सितंबर को एक ऐतिहासिक दिन के रूप में चुना है क्योंकि इस दिन मराठवाड़ा क्षेत्र ने हैदराबाद के निजाम के शासन से मुक्ति पाई थी. 17 सितंबर 1948 को, किसानों और अन्य स्थानीय लोगों के विद्रोह के बाद, मराठवाड़ा का भारत में विलय हुआ था. इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए जरांगे ने सवाल किया, ''मराठवाड़ा तो आजाद हो गया, लेकिन मराठा समुदाय कब आजाद होगा?''
सरकार से बातचीत की कोशिश
इसके अलावा आपको बता दें कि अपने अनशन की घोषणा से पहले, जरांगे ने राज्य के अल्पसंख्यक विकास मंत्री अब्दुल सत्तार से फोन पर बातचीत की. उन्होंने मराठा आरक्षण और कुनबी प्रमाण पत्र की मांग को लेकर चर्चा की. सत्तार ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक पहुंचा दिया गया है. हालांकि, जरांगे ने यह स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा.