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उद्धव सरकार का बड़ा फैसला, EWS कोटे से मराठाओं को दिया 10% आरक्षण

मराठा समुदाय के लिए सोमवार को उद्धव सरकार ने बड़ा ऐलान किया. राज्य में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को मिलनेवाला EWS आरक्षण कैटेगरी में मराठा समाज का समावेश होगा. सरकार की ओर से नया आदेश जारी कर दिया गया है.

Updated on: 01 Jun 2021, 09:34 AM

highlights

  • EWS कोटे से मराठाओं को 10% आरक्षण दिया
  • सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को घोषित किया था असंवैधानिक

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भले ही महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को खारिज कर दिया है, लेकिन अब इस पर राजनीतिक गलियारों में जंग तेज हो गई है. उद्धव सरकार (Uddhav Government) इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रही है, तो वहीं बीजेपी (BJP) उद्धव सरकार पर ही नाकामी का ठीकरा फोड़ रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने EWS कोटे के तहत मराठियों को 10 फीसदी आरक्षण दे दिया है. मराठा समुदाय के लिए सोमवार को उद्धव सरकार ने बड़ा ऐलान किया. राज्य में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को मिलनेवाला EWS आरक्षण कैटेगरी में मराठा समाज का समावेश होगा. 

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सरकार ने नया आदेश जारी किया. पहले ओपन कैटेगरी में होकर भी  EWS आरक्षण  कैटेगरी में आरक्षण लेना न लेना उस व्यक्ति के इच्छा पर निर्भर था, अब नौकरी और शिक्षा में मिलनेवाले EWS आरक्षण का लाभ मराठा समाज को मिलेगा. सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) कैटेगरी छात्रों और अभ्यर्थियों को 10% का आरक्षण देने का फैसला लिया है. इसके अलावा ये मराठा उम्मीदवार सीधी सेवा भर्ती में 10% EWS आरक्षण (10% Reservation for maratha students) का लाभ उठा सकते हैं. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2021 को मराठा आरक्षण के राज्य सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत का कहना था कि मराठा रिजर्वेशन के चलते आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा का उल्लंघन होगा. 5 जजों की बेंच ने कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा नहीं घोषित किया जा सकता. वहीं शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि मराठा रिजर्वेशन की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी.

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सामना में पार्टी ने लिखा कि 'यह टकराव निर्णायक साबित होगा. विपक्ष की ओर से महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में उन्हें समय पर रोकने की जरूरत है.' सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए सामना में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पास ही शक्ति है कि वह आरक्षण को लेकर कानून बना सके. सरकार के पास तीन कानूनी विकल्प हैं. सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की अर्जी दाखिल करना. यदि वह खारिज हो जाती है तो फिर संशोधित अर्जी देना. उसके भी असफल रहने पर संविधान के आर्टिकल 37 के तहत राष्ट्रपति से मांग करना.