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मालेगांव विस्फोट के गवाह का दावा- ATS ने योगी और RSS नेताओं का नाम लेने को ​किया था मजबूर

मालेगांव विस्फोट मामले केस से जुड़े एक गवाह ने कोर्ट में दावा किया है कि आतंकवाद निरोधी दस्ता ( ATS ) ने उसको यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) के 4 नेताओं के नाम लेने पर मजबूर किया था.

Updated on: 29 Dec 2021, 04:57 PM

नई दिल्ली:

मालेगांव विस्फोट मामले में बड़ी खबर सामने आई है. केस से जुड़े एक गवाह ने कोर्ट में दावा किया है कि आतंकवाद निरोधी दस्ता ( ATS ) ने उसको यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) के 4 नेताओं के नाम लेने पर मजबूर किया था. गवाह के बयान के बाद देश की राजनीति में हचलच पैदा हो गई है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र एटीएस ने इस गवाह का बयान रिकॉर्ड किया था. आपको बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह उस समय एटीएस के एडनिशल कमिश्नर के पद पर तैनात थे. उन्होंने ही 2008 के मालेगांव विस्फोट केस की जांच की थी. 

मालेगांव ब्लास्ट टाईमलाईन

  • 29 सितंबर 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में  बम धमाका हुआ था.
  • कुल 7 लोग मारे गए, जबकि 80 से अधिक लोग घायल हुए थे.यह धमाका LML मोटरसाइकिल में हुआ था.
  • धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था.
  • महाराष्ट्र ATS ने इस मामले की जांच अपने पास ली
  • इस केस में एटीएस की जांच में 'अभिनव भारत' संस्था का नाम सामने आया था.
  • 24 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था
  • 4  नवम्बर 2008  को  एटीएस ने कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया
  • एटीएस ने इस पुरे मामले में यूएपीए और मकोका के तहत जांच की
  • मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे एटीएस के चीफ थे
  • जनवरी 2009 को महाराष्ट्र ATS ने मामले में 11  लोगों के खिलाफ 4,528 पेज की चार्जशीट दायर की
  • जुलाई, 2009 में स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों पर मकोका हटा दिया
  • जुलाई 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिर से मकोका को बहाल कर दिया
  • 13 अप्रैल 2011 को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद मालेगांव बम धमाके की जांच NIA को सौंप दी गई
  • अप्रैल 2015  में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सभी आरोपियों के खिलाफ मकोका हटा दिया
  • NIA ने अपनी जांच के दौरान 13 मई 2016 को चार्जशीट दायर की, जिसने 6 लोगों के बारे में बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं.
  • जिन 6  लोगों के खिलाफ साबुत नहीं मिलने की बात कही गयी ,उनके नाम थे प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी का नाम था.
  • NIA ने यह भी कहा था कि इस मामले में मकोका  नहीं लग सकता. इसके बाद आरोपियों ने जमानत की अर्जी डाली, जिसके बाद कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दूसरे आरोपियों को जमानत मिल गई.
  • जमानत मिलने के बाद में सभी आरोपियों ने कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लिकेशन दायर किया. 27 दिसंबर 2017 को स्पेशल NIA कोर्ट में आरोपियों के डिस्चार्ज एप्लिकेशन पर फैसला सुनाया गया, जिसमें श्याम साहू, शिव नारायण कालसंग्रा और प्रवीण तकलकी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर से कई धाराएं कोर्ट ने हटाईं और उन दोनों पर सिर्फ आर्म्स एक्ट के तहत ही आरोप तय किए.
  • प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय रहिकर, सुधाकर चतुर्वेदी, सुधीर द्विवेदी के खिलाफ दायर MCOCA, UAPA की धारा 17, 29, 23 और आर्म्स एक्ट की धाराएं हटा दी गई थीं, लेकिन उन पर से UAPA की धारा 18, हत्या और हत्या की साजिश की धाराएं लगाकर आरोप तय कर दिए गए थे. उसके बाद से ट्रायल चल रहा है.
  • ATS मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले की जांच शुरू में कर रही थी, तभी इन गवाह की गवाही दर्ज की गई थी. मामले में अब तक 220 गवाहों का बयान अदालत में दर्ज किया गया है. इनमें से आज 15वां गवाह अपनी गवाही से पलट गया.

 

एटीएस की चार्जशीट में क्या थे आरोप

  • इस मामले में सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 24 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था
  • मुस्लिमों से बदले के लिए मालेगांव धमाका करने के लिए 11-12अप्रैल 2008 को भोपाल में हुई बैठक में साध्वी ठाकुर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, प्रसाद पुरोहित, सुधाकर धार द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी के साथ मौजूद थीं
  • भोपाल में हुई बैठक में साध्वी ने विस्फोट के लिए लोग उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली थी।
  • विस्फोटक पुरोहित द्वारा उपलब्ध कराए जाने थे।
  • विस्फोट करने के लिए प्रज्ञा की बाईक एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल किया गया था।
  • प्रज्ञा ने ही पुरोहित से कहा था कि वे उनके लोगों को विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराएं।
  • बाईक के अलावा एटीएस ने सुधाकर धार द्विवेदी से बरामद किया गया लैपटॉप भी दिखाया
  • लैपटॉप में इंदौर और भोपाल में हुई बैठक की ऑडिया और वीडियो रिकोर्डिंग थी।

 

धमाके के छह मुख्य आरोपियों को लेकर देश की दो मुख्य जांच एजेंसियां एटीएस और एनआईए की राय बिल्कुल अलग-अलग है

साध्वी प्रज्ञा

  • एटीएस की चार्जशीट में ----विस्फोट करने के लिए प्रज्ञा की बाईक एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल किया गया था।
  • एनआईए की चार्जशीट में ----विस्फोट में इस्तेमाल की गई बाइक प्रज्ञा ने ही खरीदी थी और इसका रजिस्ट्रेशन भी उसी के नाम है। लेकिन बाइक को विस्फोट से पहले रामचंद्र कलसांगरा ही चला रहा था।

 

शिवनारायण कलसांगरा

  • एटीएस की चार्जशीट में ----शिवनारायण कलसांगरा और साहू को विस्फोटक सामग्री से बम बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकार बताया गया। उस पर गिरोह के अन्य साथियों की मदद करने का भी आरोप है। कलसांगरा बतौर एलआईसी एजेंट काम करता था और इलेक्ट्रिशियन भी था। उसे उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया।  शिवनारायाण कलसांगरा ने बताया उसके भाई रामचंद्र ने उसे दो इलेक्ट्रॉनिक टाइमर्स अपनी सुरक्षा के लिए रखने को कहा था। कलसांगरा ने ही वह जगह दिखाई थी, जहां पर टाइमर्स छुपाए गए थे। एटीएस ने ये दो टाइमर्स इंदौर से उसके घर से बरामद किए थे।
  • एनआईए की चार्जशीट में ----आरोपी पेशे से इलेक्ट्रिशियन है और उसके घर से बरामद हुए टाइमर्स बरामद होना कोई ऐसी सामग्री नहीं है जो कि प्रतिबंधित है। इन टाइमर्स पर किसी तरह की विशेष पहचान नहीं है। जिससे यह कहा जा सके कि ये टाइमर्स बलास्ट में इस्तेमाल किए गए थे। आरोपी के खिलाफ ऐसे सबूत नहीं है कि वह अन्य आरोपियों से मिला हुआ था।

 

श्याम भंवरलाल साहू

  • एटीएस की चार्जशीट में --- साहू किसी बैठक में शामिल नहीं हुआ था, लेकिन उसने प्रज्ञा और रामचंद्र कलसांगरा को मोबाइल फोन, सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। ये कार्ड विस्फोट के लिए रची गई साजिश के दौरान इस्तेमाल किए गए थे। साहू को भी उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन प्रज्ञा को अरेस्ट किया गया।
  • एनआईए की चार्जशीट में ---- साहू के खिलाफ जिसने गवाही दी वह इंदौर में उसकी मोबाइल दुकान पर उसके साथ काम करता था। उसने कहा कि रामजी और प्रज्ञा का फोन उसकी दुकान पर ही रिचार्ज किया जाता था। रामचंद्र कलसांगरा को साहु ने पांच अलग-अलग नाम से सिम दिए थे। इसके अलावा उसके खिलाफ बलास्ट में शामिल होने के कोई सबूत नहीं है। साल 2008 में सिम कार्ड खरीदने और बेचने के लिए कोई सख्त कानून नहीं थे। रामजी और साहू अच्छे दोस्त थे।

 

प्रवीण टक्काल्की

  • एटीएस की चार्जशीट में --- प्रवीण टक्काल्की पर पुरोहित के नजदीकी होने का आरोप है। उसने आरोपी राकेश धावड़े से भोसला मिलिट्री स्कूल में बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी। धावड़े ने पुरोहित के निर्देशों पर उसे ट्रेनिंग दी थी। उस पर आरोप है कि वह आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर देवलाली में रुका था। एटीएस को यहीं से आरडीएक्स बरामद हुआ था। प्रज्ञा की बाइक में बम भी यहीं पर लगाया गया था।
  • एनआईए की चार्जशीट में --- इस पर जितने भी आरोप लगाए गए हैं वह एटीएस के सामने कबूलनामे के आधारित थे। मकोका हटाए जाने के बाद इन कबूलनामों का कोई महत्व नहीं रहता।