महाराष्ट्र के पालघर से एक ऐसी खबर सामने आयी है जहां सरकारी कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार और असंवेदशीलता की सभी हदें पार कर दी है. यहां के एक श्मशान में बच्चों के लिए झूले लगाने का एक बेहद ही असंवेदनशील मामला सामने आया है. अब आप सोचिए जहां बच्चों को जाने से भी डर लगता है, वहां बच्चों के लिए झूले लगा देना ये कोई भी महानगर पालिका कैसे फैसला ले सकती है.
आखिर इतना सन्नाटा क्यों है?
जिस जगह बच्चों के लिए तरह तरह के झूले लगे हैं वहां आखिर इतना सन्नाटा क्यों है? इतने सारे झूलों के होने के मौजूद भी यहां कोई चहल पहल क्यों नही दिख रही है? इसके पीछे का कारण है ये जगह जहां झूले लगाये गए हैं. दरअसल ये सारे झूले एक श्मशान में लगाये गए हैं. जहां बच्चे शाम क्या दिन में भी आने से डरते हैं. ये तस्वीर मुंबई से सटे पालघर के वसई पश्चिम के एक श्मशान की है और इस श्मशान भूमि में वसई विरार महानगर पालिका की तरफ से बच्चों के खेलने के लिए तरह तरह के झूले लगाए गए थे.
झूलों को उखाड़कर यहां से हटा दिया गया
सवाल ये है की जहां श्मशान में एक तरफ लाश जलती है. जहां लोग किसी अपने को आखरी बार विदा करने उसके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने पहुंचते हैं वहाँ इन झूलों को लगाया जाना आख़िर कोई कैसे सोच सकता है? हालाँकि इस ख़बर के सामने आने के बाद वसई- विरार महानगर पालिका की इतनी किरकिरी हुई की झूले लगाये जाने के एक हफ़्ते के अंदर ही यहां से सभी झूलों को उखाड़कर यहां से हटा दिया गया.
श्मशान में झूलों के लगाने का विरोध भी किया था
गौरतलब है की यहां के स्थानीय लोगों ने श्मशान में झूलों के लगाने का विरोध भी किया था. लेकिन उनकी बात सुनी नही गई. स्थानियों का कहना है यहां पास में एक मैदान है अगर ये झूले वहाँ लगाये गए होते तो गाँव के बच्चों को इससे बहुत खुशी मिलती लेकिन यहां झूला लगाने के पीछे का मकसद सिर्फ भ्रष्टाचार था.
गौरतलब है की वसई-विरार मनपा लोकल चुनाव ना होने की वजह से बीते 5 वर्षों से प्रशासनिक शासन के अधीन है और आरोप लग रहे हैं की यहां मनपा के अधिकारी बिना किसी को विश्वास में लिए मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं. स्थानीय नागरिकों का ये भी आरोप है कि किसी भी कार्य के लिए कोई योजना नहीं है, केवल पैसों की बर्बादी की जा रही है.