Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। वजह है आगामी चुनाव। दरअसल जब-जब महाराष्ट्र चुनाव का वक्त करीब आता है खेला होना तय माना जाता है। इस बार फिर खेला होने की आशंका जताई जा रही है। विधानसभा चुनाव से शिवसेना में टूट और फिर करारी हार के बाद उद्धव गुट वाली शिवसेना लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। इस बात को तब और हवा मिली जब मुखपत्र सामना के फ्रंट पेज पर एक खास तस्वीर छपी। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
सामना में साथ दिखे 'ठाकरे ब्रदर्स'
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक तस्वीर, जिसमें उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एकसाथ नजर आ रहे हैं। पहले पन्ने पर छपी इस पुरानी तस्वीर के साथ लिखा गया मराठी में एक वाक्य – “महाराष्ट्र के मन में जो है, वही होगा”- सियासी हलकों में कई नए संकेत छोड़ गया है।
इससे एक बार फिर अटकलों को बल मिला है कि क्या ठाकरे बंधु आगामी नगर निगम चुनाव से पहले फिर से एक हो सकते हैं?
उद्धव ठाकरे का रहस्यमय बयान
उद्धव ठाकरे ने जब इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी तो उन्होंने न तो पुष्टि की और न ही इनकार किया। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र की जनता के मन में जो होगा, वही होगा।” इस वाक्य ने मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चाओं को और हवा दे दी। उन्होंने यह भी कहा, “मैं सिर्फ संदेश नहीं दूंगा, बल्कि जब समय आएगा तो लाइव समाचार दूंगा।”
यह बयान साफ करता है कि शिवसेना (UBT) किसी भी संभावित गठबंधन को लेकर पूरी तरह सोच-विचार कर रही है।
राज ठाकरे का नरम रुख
मनसे प्रमुख राज ठाकरे पहले की अपेक्षा इन दिनों काफी नरम रुख में नजर आ रहे हैं। अप्रैल में फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “हमारे झगड़े बहुत छोटे हैं और किसी भी बड़े मुद्दे के सामने नगण्य हैं। महाराष्ट्र का हित हमारे व्यक्तिगत मतभेदों से कहीं बड़ा है।” यह बयान संकेत देता है कि मनसे अब ज्यादा परिपक्व राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाने को तैयार है।
राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावनाएं
अगर उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आते हैं, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव होगा। खासकर मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरी इलाकों में जहां मनसे और शिवसेना दोनों का मजबूत जनाधार रहा है, वहां यह गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिंदे गुट के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
शिवसैनिकों की उत्सुकता और असमंजस
हालांकि उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों को यह भरोसा दिलाया है कि भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन शिवसैनिकों के बीच उत्सुकता साफ देखी जा सकती है। पिछले कुछ वर्षों में हुई राजनीतिक टूट-फूट के बाद यह पहली बार है जब दोनों भाइयों के बीच संवाद की संभावनाएं वास्तविक लग रही हैं।
क्या फिर एक साथ आएंगे ठाकरे बंधु?
भविष्य में क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना तय है कि उद्धव और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन की चर्चाएं अब सिर्फ अटकलें नहीं रहीं। राजनीतिक संकेतों, बयानों और सार्वजनिक भाषा ने इस चर्चा को वास्तविक संभावना में बदल दिया है। अगर यह गठबंधन होता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा को पूरी तरह बदल सकता है।
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