Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति पिछले कुछ वर्षों में बेहद उतार-चढ़ाव भरी रही है. दलों के बीच टूट-फूट, नए समीकरणों का बनना और पुराने गठबंधनों का बिखरना अब आम हो चला है. इस बीच एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में खेला होने के संकेत मिल रही है. एक नया संकेत सामने आया है, जो आने वाले BMC और स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर अहम हो सकता है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने शिवसेना (UBT) के साथ संभावित गठबंधन के संकेत दिए हैं, जिससे महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है.
आदित्य ठाकरे की अपील और AIMIM की प्रतिक्रिया
दरअसल, शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने हाल ही में महाराष्ट्र के भले के लिए सभी गैर-महायुति दलों को एक साथ आने की अपील की थी. आदित्य का यह बयान तब आया जब राज्य की राजनीति में भाजपा और शिंदे गुट के गठजोड़ को लेकर विपक्ष लगातार असंतोष जता रहा है. आदित्य ने खुले शब्दों में कहा कि वह राज्य की तरक्की के लिए किसी के भी साथ चलने को तैयार हैं- बशर्ते मुद्दा विकास का हो.
इस अपील पर AIMIM की महाराष्ट्र यूनिट की ओर से सकारात्मक संकेत मिले हैं. पार्टी विधायक मुफ्ती इस्माइल ने बयान दिया है कि वह चाहते हैं कि उद्धव ठाकरे और असदुद्दीन ओवैसी एक साथ आएं. उन्होंने कहा कि AIMIM विकास के मुद्दे पर सहयोग के लिए तैयार है और धर्म उनके लिए कोई रुकावट नहीं है.
गठबंधन की पुरानी नाराजगी भी जताई
जहां एक ओर AIMIM ने सहयोग की इच्छा जाहिर की है, वहीं विधायक मुफ्ती इस्माइल ने शिवसेना यूबीटी पर पुराने दिनों की नाराजगी भी जताई. उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनावों में AIMIM ने महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बनने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें गठबंधन में शामिल नहीं किया गया. ऐसे में इस बार भी उन्हें शक है कि शायद ठाकरे गुट केवल औपचारिकता निभा रहा हो.
ओवैसी लेंगे अंतिम निर्णय
हालांकि मुफ्ती इस्माइल ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संभावित गठबंधन पर अंतिम निर्णय AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ही लेंगे. यह दर्शाता है कि अभी सब कुछ प्रारंभिक स्तर पर है और बातचीत की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू नहीं हुई है.
क्या यह गठजोड़ मुमकिन है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि शिवसेना यूबीटी और AIMIM वाकई एक साथ आते हैं, तो यह न केवल बीएमसी चुनाव बल्कि राज्य की पूरी राजनीतिक तस्वीर को बदल सकता है. मुस्लिम वोट बैंक और मराठी मानुष की सियासत का ऐसा मेल महाराष्ट्र में पहले कभी नहीं देखा गया.
दरअसल उद्धव ठाकरे और AIMIM के बीच संभावित गठबंधन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है. जहां विचारधारा की दीवारें कभी गठबंधन में बाधा बनती हैं, वहीं सत्ता की राजनीति उन्हें तोड़ भी देती है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह प्रस्ताव असली गठजोड़ में तब्दील होता है या सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहता है.
यह भी पढ़ें - Nandur Nimba Daitya: इस गांव में हनुमान जी का नाम भी लेना है गुनाह, हैरान कर देगा पीछे का कारण