Navneet Rana Latest News: देश में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जहां भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है तो वहीं महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से एक अमरावती लोकसभा सीट हारने के बाद नवनीत राणा का बयान सामने आया है, जिससे विपक्ष में हलचल मच गई है. दरअसल अमरावती सीट पर निवर्तमान सांसद व भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा और कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े के बीच कांटे की टक्कर थी. इस चुनावी संघर्ष में अंततः कांग्रेस को जीत हासिल हुई. अपनी हार के बाद बीजेपी नेता नवनीत राणा का बयान अब चर्चा का विषय बना हुआ है. नवनीत राणा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो उन्हें ऐसा लगा मानो वे चुनाव जीत गई हों.
नवनीत राणा की प्रतिक्रिया
आपको बता दें कि बीजेपी नेता नवनीत राणा ने एक मीडिया से बातचीत में कहा, ''मुझे लगता है कि हारने के बाद भी जब प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम पद की शपथ ली, तो मैं जीत गई. बस अफसोस इस बात का रहेगा कि 2019 में अमरावती की जनता ने मुझे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जिताया था, लेकिन 2024 में मैंने ऐसा क्या किया कि मेरे अमरावती की जनता ने मुझे यहां हरा दिया?'' इस बयान से नवनीत राणा ने अपनी निराशा और जनता की अपेक्षाओं को व्यक्त किया.
चुनाव परिणाम और मतदान आंकड़े
वहीं अमरावती सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखेड़े को कुल 526,271 वोट मिले, जबकि नवनीत राणा को 506,540 वोट प्राप्त हुए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यहां दो दलों के बीच कड़ा मुकाबला रहा. लोकसभा चुनाव के दौरान अमरावती में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान हुआ था और कुल 57.46 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
2019 की जीत
इसके अलावा साल 2019 में नवनीत राणा ने अमरावती से निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए शिवसेना के आनंदराव अडसुल को 36,951 वोटों से हराया था. नवनीत राणा को तब 510,947 वोट मिले थे, जबकि आनंदराव अडसुल को 473,996 वोट मिले थे. वहीं, वीबीए के गुणवंत देवपारे 65,135 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. यह जीत नवनीत राणा के लिए बड़ी उपलब्धि थी, जिसने उन्हें एक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित किया था.
लोकसभा चुनाव में रही कांटे की टक्कर
आपको बता दें कि अमरावती लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच का यह मुकाबला यह दर्शाता है कि राजनीति में कभी भी कुछ निश्चित नहीं होता. नवनीत राणा के अनुसार, 2019 में जनता का समर्थन प्राप्त करने के बावजूद 2024 में उनकी हार यह संकेत देती है कि जनता की अपेक्षाएं और प्राथमिकताएं बदल सकती हैं.
बहरहाल, नवनीत राणा की प्रतिक्रिया और चुनाव परिणामों की समीक्षा से यह स्पष्ट होता है कि राजनीति में चुनावी सफलता और असफलता का दौर चलता रहता है. नेताओं को जनता की बदलती उम्मीदों और आवश्यकताओं के अनुसार खुद को ढालना होता है. अमरावती की जनता ने इस बार कांग्रेस को चुना है लेकिन नवनीत राणा का आत्मविश्वास और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनकी वफादारी उन्हें राजनीतिक रूप से प्रेरित और सक्रिय बनाए रखेगी. अब इसमें ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि वे आगामी चुनावों में किस प्रकार से अपनी रणनीति तैयार करती हैं.
HIGHLIGHTS
- अमरावती से क्यों हारी नवनीत राणा?
- चर्चा में है उनका नया बयान
- लोकसभा चुनाव में रही कांटे की टक्कर
Source : News Nation Bureau