logo-image

...तो इस तरह देवेंद्र फडणवीस बने उपमुख्यमंत्री, जानें असली कहानी

देवेंद्र फडणवीस का उपमुख्यमंत्री तक पहुंचने की असली कहानी क्या है? एकनाथ शिंदे के साथ बातचीत के आखिरी दौर तक ये तो साफ था कि सरकार में दोनों साथ होंगे. ऑपरेशन को जब अंजाम दिया जाना था तब हाईकमान के साथ बैठकर एक-एक विकल्पों पर गौर किया था.

Updated on: 01 Jul 2022, 06:44 PM

मुंबई:

देवेंद्र फडणवीस का उपमुख्यमंत्री तक पहुंचने की असली कहानी क्या है? एकनाथ शिंदे के साथ बातचीत के आखिरी दौर तक ये तो साफ था कि सरकार में दोनों साथ होंगे. ऑपरेशन को जब अंजाम दिया जाना था तब हाईकमान के साथ बैठकर एक-एक विकल्पों पर गौर किया था. लिहाजा, इस उलटफेर से क्या-क्या चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं इस पर लंबा मंथन किया गया, जिसमें ये साफ हो गया कि शिवसेना सुप्रीमो बालसाहेब ठाकरे के बेटे को सत्ता से बेदखल करने के बाद मराठा वोटर का एक गुस्सा झेलना पड़ सकता है.

यह भी पढ़ें : बालासाहेब के शिवसेना की असली विरासत किसके पास?

इसके बाद 2024 का महाराष्ट्र का प्लान फेल हो सकता है. उद्धव ठाकरे सरकार खोने के बाद इमोशन पर खेलेंगे. जिसको देखते हुए देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनाने के प्लान में फेरबदल हुआ. ये बात फडणवीस को बता दी गई थी, लेकिन सरकार बनने तक किसी से भी चर्चा नहीं करने की हिदायत थी. देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमत्री पद छोड़ने तक को सहमति जाहिर की थी लेकिन उपमुख्यमंत्री बनने पर कोई निर्णय नहीं हुआ था. 28 जून की रात तक ये बात साफ हो चुकी थी कि सरकार बनने वाली है, इसलिए 30 जून की सुबह ये बात हो गई कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन देवेंद्र फडणवीस सरकार का हिस्सा नहीं होंगे.

जैसे समय बीत रहा था कि लोगों के जनभावना और महाविकास अघाड़ी के रणनीति पर लगातार गौर बनाए थे और 4.30 बजे शाम को जैसे ही घोषणा की तो महाविकास अघाड़ी ने मैसेज पूरे राज्य में फैलाना शुरू किया कि सरकार सिर्फ-सिर्फ रिमोट से चलेगी.

यह भी पढ़ें : देश में दर्ज केसों से राहत के लिए नूपुर शर्मा की याचिका पर SC की फटकार

बीजेपी हाईकमान को अपने सब दांव इसके पीछे गिरते दिखे, जिसके बाद बीजेपी हाईकमान ने फडणवीस को सरकार में शामिल होने के लिए संदेश भिजवाया, लेकिन फडणवीस ने अनिइच्छा जाहिर की. इसके बाद जेपी नड्डा ने फडणवीस को इस बात के लिए तैयार किया कि वो सरकार में उपमुख्यमंत्री बने. जेपी नड्डा से संवाद कायम किया. इस घटनाक्रम के बाद विदेश में बैठे प्रधानमंत्री ने दो बार फोन कर बधाई दी और सरकार में शामिल होने के निर्देश दिया और इस तरह से महाराष्ट्र सरकार में अनपेक्षित विवाद सुलझ गया और कोई संकट बनने से पहले ही सुलझ गया.