महाराष्ट्र: MCA चुनाव में धुर विरोधी BJP और NCP एक ही पैनल से चुनाव लड़ रहे
राजनीतिक मंच पर एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाने और हिंदुत्व के मुद्दे पर एक दूसरे को नीचा गिराने वाले नेता क्रिकेट के मैदान और उसके संगठन पर कब्जे के लिए एक साथ आ गए हैं
highlights
- धुर विरोधी बीजेपी और एनसीपी एक ही पैनल से चुनाव लड़ रहे
- आशीष शेलार और शरद पवार ग्रुप एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं
- मिलिंद नार्वेकर ने भी आशीष शेलार के साथ एमसीए में पर्चा भरा
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र की राजनीति में एक दूसरे को आरोप-प्रत्यारोप करने वाले नेता क्रिकेट के मैदान या उनके संगठन पर कब्जा जमाने के लिए दोस्त बन गए हैं. मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) चुनाव में हिंदुत्व के नाम पर धुर विरोधी बीजेपी और एनसीपी एक ही पैनल से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीतिक मंच पर एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाने और हिंदुत्व के मुद्दे पर एक दूसरे को नीचा गिराने वाले नेता क्रिकेट के मैदान और उसके संगठन पर कब्जे के लिए एक साथ आ गए हैं, क्रिकेटर संदीप पाटिल के पैनल को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में मात देने के लिए आशीष शेलार और शरद पवार ग्रुप एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. आशीष शेलार MCA के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं तो वही उनके पैनल में पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाण, शिवसेना के उद्धव ग्रुप के सचिव मिलिंद नार्वेकर और एकनाथ शिंदे ग्रुप के विधायक प्रताप सरनाईक के बेटे विहंग सरनाईक एक ही पैनल से संदीप पाटिल के पैनल को मात देने के लिए उम्मीदवारी का अर्थ दाखिल किया है.
हालांकि इस मुद्दे पर जब सरकार में मंत्री दीपक केसरकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजनीति और क्रिकेट दोनों को दूर रखना चाहिए राजनीति में हिंदुत्व चलता है और क्रिकेट में हिंदुत्व नहीं देश चलता है.
हिंदुत्व के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे और बीजेपी के आड़े हाथों लिए गए उद्धव ठाकरे के ग्रुप से मिलिंद नार्वेकर ने भी आशीष शेलार के साथ एमसीए में पर्चा भरा है जब यह सवाल उद्धव ग्रुप की प्रवक्ता मनीषा कायंदे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजनीति के अलावा दूसरे मुद्दों पर हम सब एक साथ आते हैं. क्रिकेट ही नहीं जब महाराष्ट्र के भीतर शाहकार पैनल तैयार होता है तो उसमें भी दूसरी पार्टियों के लोग एक ही पैनल पर आकर चुनाव लड़ते हैं.
हालांकि आशीष शेलार ने बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष पद के लिए भी नामांकन भर दिया है और ऐसे में अगर बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष के तौर पर चयन होता है तो उन्हें एमसीए से अपनी उम्मीदवारी और दावा छोड़ना पड़ेगा. यानी साफ है कि आने वाले समय में जनता के मुद्दे पर एक-दूसरे के धुर विरोधी राजनीति छोड़ जब क्रिकेट के मैदान में पहुंचते हैं तो एक दूसरे के दोस्त बन जाते हैं.
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