गांव में डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक नया प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के मुताबिक जो भी डॉक्टर अपनी मर्जी से गांव में पांच या सात साल तक काम करने के लिए तैयार होंगे उन्हें राज्य सरकार एमबीबीएस (MBBS) की 10% और मेडिकल पोस्ट-ग्रेजुएशन की 20% सीटों पर आरक्षण देगी. हालांकि इस प्रस्ताव में कुछ नियम भी जोड़े गए हैं. इसके मुताबिक अगर कोई डॉक्टर कोर्स पूरा करने के बाद इन ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने में विफल रहते हैं तो उन्हें पांच साल की सजा भी हो सकती है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य मंत्रिमंडल ने इस फैसले पर मंजूरी दे दी हैं. इसके बाद अब इसे कानून बनाने के लिए बिल पेश किया जाएगा.
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आरक्षण पाने वालों को साइन करना होगा बॉन्ड
जानकारी के मुताबिक ये प्रस्ताव आरक्षित सीटें, राज्य और नागरिक संचालित मेडिकल कॉलेज के साथ उन डॉक्टर्स के लिए भी उपलब्ध होंगी जो सरकारी केंद्रों में लंबे समय तक काम करना चाहते हैं. बताया जा रहा है कि जो डॉक्टर्स इस आरक्षण को लेना चाहते हैं उन्हें बॉन्ड साइन करना होगा. अगर कोर्स खत्म होने के बाद कोई भी इस बॉन्ड का उल्लंघन करता है तो उसे पांच साल की सजा हो सकती है.