महाराष्ट्र की सियासत हुई तेज, NDA से अलग हुए संजय राउत, पहले भी टूटता रहा है बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन
महाराष्ट्र की सियासत हुई तेज, पहले भी टूटता रहा है बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन
नई दिल्ली:
शिवसेना सांसद संजय राउत ने यहां सोमवार को कहा कि शिवसेना ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतात्रिंक गठबंधन (NDA) से अलग होने का फैसला किया है. पार्टी महाराष्ट्र में कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के समर्थन से सरकार बनाएगी. राउत ने सामने आए घटनाक्रम में अब तक का सबसे स्पष्ट संकेत देते हुए कहा, 'हमने पहला कदम उठाया है .. और अब हर पक्ष के लिए स्वीकृत न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर सरकार बनाने के लिए उचित कदम उठाना उन पर निर्भर है.' हालांकि, विपक्षी एनसीपी ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं और स्पष्ट रूप से शिवसेना का समर्थन करने से फिलहाल दूरी बना रखा है.
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शिवसेना सांसद संजय राउत का एनडीए सरकार से अलग होने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में हलचल पैदा हो गई है. इसके साथ ही शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को लेकर सियासी गलियारों में कयासों का दौर और तेज गया है.
माना जा रहा है कि सीएम की कुर्सी की लड़ाई में सालों पुराना बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूट सकता है. लेकिन बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि दोनों पार्टीयों के बीच मतभेद हो रहे है. इससे पहले भी शिवसेना और बीजेपी के बीच खींचतान दिखा है.
साल 1989 में भी शिवसेना और बीजेपी पहली बार आधिकारिक रूप से एक साथ आए थे. शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. बीजेपी की तरफ से स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने इस गठबंधन में मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके बाद दोनों पार्टियों ने 1989 का लोकसभा चुनाव और 1990 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था.
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साल 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. वहीं शिवसेना दूसरे और बीजेपी तीसरे नंबर पर थी. तब शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन कर के सरकार बनाई थी. महाराष्ट्र के अलावा केंद्र की सत्ता में भी दोनों पार्टियां साथ रही है.
साल 1999 के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी विपक्ष में रहे. इसके अलावा 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के दौरान दोनों पार्टीयां विपक्ष में रही लेकिन 2014 के चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने अलग चुनाव लड़ा था. चुनाव के बाद शिवसेना बीजेपी सरकार में शामिल हो गई और राज्य सरकार के अलावा केंद्र की मोदी सरकार में भी अपनी भागीदारी निभाई.
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साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी की बहुत बड़ी जीत हुई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार में शिवसेना का सिर्फ एक मंत्री अरविंद सावंत को शामिल किया गया.
बता दें कि इसबार के महाराष्ट्र के 288 सदस्यों वाली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के पास 105, शिवसेना के पास 56, राकांपा के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें आई हैं.
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