भीमा कोरेगांव मामले में शरद पवार को बुलाने के लिए आवेदन हुआ दायर

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, इस मामले में एक व्यक्ति ने कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष एक आवेदन दायर किया है.

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, इस मामले में एक व्यक्ति ने कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष एक आवेदन दायर किया है.

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Vineeta Mandal
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भीमा कोरेगांव मामले में शरद पवार को बुलाने के लिए आवेदन हुआ दायर

Sharad Pawar( Photo Credit : (फाइल फोटो))

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, इस मामले में एक व्यक्ति ने कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष एक आवेदन दायर किया है. इसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार को बुलाने का अनुरोध किया गया है. बता दें कि ये यह आयोग उन कारणों की पूछताछ कर रहा है जिसके कारण महाराष्ट्र में 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा हुई थी.

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बता दें कि शरद पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामले में आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार 'कुछ छुपाना' चाहती थी, इसलिए मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (SIT) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था.

शरद पवार ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना 'राष्ट्रविरोधी' गतिविधि है?. पवार ने कहा कि जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी. मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था.

ये भी पढ़ें: शरद पवार की नाराजगी के बीच उद्धव ठाकरे बोले- भीमा कोरेगांव नहीं, एल्‍गार परिषद मामले की जांच NIA को दी

गौरतलब है कि अंग्रेजों और मराठों के बीच हुए तीसरे ऐतिहासिक युद्ध की बरसी की याद में होने वाले समारोह में लोग यहां एकत्र होते हैं. यह युद्ध सबल अंग्रेजी सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच हुई थी जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी. अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे.

अंग्रेजों ने बाद में वहां विजय-स्तंभ बनवाया था. दलित जातियों के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय के प्रतीक मानते हैं और यहां नए साल पर 1 जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता है.

Source : News Nation Bureau

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