बाढ़, लैंडस्लाइड से 112 की मौत, अब तक 1.35 लाख लोग निकाले गए सुरक्षित
रायगढ़ में भूस्खलन की वजह से मारे गए 33 लोगों को एक साथ दफनाया गया। सरपंत संपत तानलेकर का कहना है कि बारिश की वजह से अंतिम संस्कार के लिए सामग्री नहीं लाई जा सकी, इसलिए सभी को दफनाना पड़ा।
highlights
- बारिश से जुड़ी घटनाओं में 112 की मौत, 99 लापता
- 1.35 लाख लोग अब तक सुरक्षित जगहों पर पहुंचाए गए
- महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 25 यात्रियों को रेस्क्यू किया गया
मुंबई :
महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे और कोंकण संभाग में पिछले तीन दिन में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन के चलते मरने वाले लोगों की संख्या शनिवार को बढ़कर 112 पर पहुंच गई. 53 लोग घायल हैं और 99 लोग अभी लापता हैं. महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र (Maharashtra) में बाढ़ प्रभावित इलाकों से अब तक 1 लाख 35 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है. अब तक 112 लोगों की मौत की खबर है. 3221 जानवरों की भी बाढ़ की वजह से मौत हुई है.
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रायगढ़ में भूस्खलन की वजह से मारे गए 33 लोगों को एक साथ दफनाया गया. सरपंत संपत तानलेकर का कहना है कि बारिश की वजह से अंतिम संस्कार के लिए सामग्री नहीं लाई जा सकी, इसलिए सभी को दफनाना पड़ा. राज्य में कम से कम 1,35,313 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया गया है जिनमें पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली जिले के 78,111 और कोल्हापुर जिले में 40,882 लोग शामिल है. एक तरफ जहां बाढ़ से प्रभावित चिपलुन, खेड और महाड जैसे शहरों के लोग इस आपदा से उबरने का प्रयास कर रहे हैं.
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वहीं, प्रशासन के समक्ष जल एवं बिजली आपूर्ति बहाली के साथ ही प्रभावित इलाकों के लोगों के लिए भोजन और दवाओं का प्रबंध करना चुनौती बना हुआ है. पुलिस उप महानिरीक्षक (कोंकण) संजय मोहिते ने पीटीआई-भाषा को बताया कि रायगढ़ जिले के तलीये गांव में बृहस्पतिवार को हुए भूस्खलन स्थल से कम से कम 41 शव निकाले गए हैं जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को कहा कि अगले 24 घंटों में पश्चिमी तट पर बारिश की तीव्रता कम होने के आसार हैं जिससे वर्षा से प्रभावित महाराष्ट्र और गोवा को राहत मिल सकती है.
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि भूस्खलन की निरंतर बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को स्थायी रूप से स्थानांतरित करने और उन्हें बसाने की योजना बनाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में जल के प्रबंधन के लिए एक विशेष नीति तैयार की जाएगी. इन इलाकों में मानसून के दौरान नदियों के जल स्तर में वृद्धि की वजह से बाढ़ आती है.
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