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भारतीय सेना को मिलेगा एक नया हथियार, समुद्र में मानवरहित बोट की ताकत से दुश्मन के उड़ेंगे होश

मानव रहित बोट इलेक्ट्रिक और मोटर इंजन से चलती है. यह समुद्र में 25 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. ये बोट एक बार में 24 घंटा लगातार पानी में रहकर पेट्रोलिंग करने की ताकत रखता है.

Updated on: 04 Oct 2022, 03:52 PM

मुंबई:

मानव रहित बोट इलेक्ट्रिक और मोटर इंजन से चलती है. यह समुद्र में 25 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. ये बोट एक बार में 24 घंटा लगातार पानी में रहकर पेट्रोलिंग करने की ताकत रखता है. इसके अलावा दुश्मनों की नजर से इस बोट को बचाने के लिए विशेष तकनीक विकसित की गई है. अगर ये बोट दुश्मन के हाथ लगता है तो ये अपने अंदर मौजूद कंट्रोल बोर्ड को खुद ही डिस्ट्रॉय कर देगा, ताकि दुश्मन को इसकी डेटा ना मिल जाए और ना वो इसपर कंट्रोल कर सके.

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कुछ दिन पहले संदिग्ध नाव मिलने से पूरे देश में हड़कंप मच गया था. वहीं, मुंबई के 26/11 हमले में भी आतंकियों ने समुंदर के रास्ते से ही मुंबई में घुसपैठ किया था. मानव रहित बोट की मदद से ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है. इस बोट की सबसे खास बात ये है कि जैसे ही दुश्मन हमारे समुद्री सीमा में घुसने की कोशिश करता है उसे कंट्रोल रूम में बैठा सैनिक के बटन दबाकर खत्म कर सकता है.

इसमें लगे सोनार सिस्टम और रडार सिस्टम की मदद से सरफेस सर्विलांस के अलावा ये बोट एंटी सबमरीन वॉरफेर और माइंस काउंटर मेसर में भी काम कर सकती है. ये बोट पूरी तरह से भारत में बना है, जिसे सागर डिफेंस इंजीनियरिंग नाम की कंपनी ने DRDO के साथ मिलकर विकसित किया है. 

सर्विलांस कैमरों और हथियारों से लैस इस मानवरहित बोट को एक बार समुद्र में छोड़े जाने के बाद रिमोट, कंप्यूटर और सैटेलाइट के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है. जहां यह बोट पानी पर तैरती है, उस जगह के चारों ओर एक किलोमीटर के 360 डिग्री दृश्य का लाइव फीड कंट्रोल में बैठकर लिया जा सकता है. ऐसे में अगर कोई संदिग्ध नाव या हमलावर मिलता है तो कंट्रोल रूम में बैठे-बैठे ही उन पर फायरिंग की जा सकती है. इससे भारत को संभावित खतरा होने पर इस तकनीक से बचा जा सकता है.

अब तक हमने मानव रहित ड्रोन हमले देखे हैं, लेकिन अब मानव रहित नाव इस तकनीक से दुश्मनों को निशाना बनाने में सक्षम होंगी. भारत की समुद्री सीमाएं हमेशा से ही सुरक्षा चुनौती रही हैं. यह नई तकनीक हमारी भारतीय सेना को इस चुनौती से निपटने में मदद करेगी, इसलिए उम्मीद है कि भविष्य में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा.