logo-image

राणा दंपति की जमानत अर्जी पर सुनवाई, वकील ने कहा-हनुमान चालीसा पढ़ना देशद्रोह नहीं

मुंबई की भायखला महिला जेल में निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को रखा गया है. वही नवी मुंबई की तलोजा जेल में उनके विधायक पति रवि राणा बंद हैं. दंपत्ति को जमानत मिलेगी या नहीं?

Updated on: 30 Apr 2022, 05:13 PM

मुंबई:

Hanuman Chalisa Row Hearing: महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बीच आज यानि शनिवार को निर्दलीय सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके विधायक पति रवि राणा (Ravi Rana) की जमानत अर्जी पर आज मुंबई की सेशंस कोर्ट में स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. राणा दंपति की तरफ से वरिष्ठ वकील रिजवान मर्चेंट और आबाद पोंडा कोर्ट पहुंच चुके हैं. मालूम हो कि शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान पुलिस ने अपना जवाब दाखिल करते हुए राणा दंपति की जमानत का विरोध किया था. मुंबई की भायखला महिला जेल में निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को रखा गया है. वही नवी मुंबई की तलोजा जेल में उनके विधायक पति रवि राणा बंद हैं. दंपत्ति को जमानत मिलेगी या नहीं, इसका फैसला आज मुंबई की सेशंस कोर्ट करेगी.  राणा दंपति की तरफ से एडवोकेट रिजवान मर्चेंट औक अबाद पोंडा बहस कर रहे हैै.

इससे पहले सांसद नवनीत राणा और विधायक रवि राणा की याचिका पर पिछली बार 26 अप्रैल को सुनवाई हुई थी.तब कोर्ट ने मुंबई पुलिस से जेल में बंद दंपति की जमानत याचिका पर 29 अप्रैल को जवाब दाखिल करने को कहा था. पुलिस की ओर से जवाब दाखिल हो गया है. अब कोर्ट को ये तय करना है कि दोनों को जमानत देनी है या नहीं. फिलहाल नवनीत राणा और रवि राणा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. मुंबई पुलिस ने राणा दंपत्ति के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज किया हुआ है. 
 
नवनीत राणा लाउडस्पीकर विवाद के बीच राणा दंपति ने उद्धव ठाकरे के घर 'मातोश्री' के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था. इसके बाद शुक्रवार सुबह से ही उनके घर के बाहर शिवसैनिक भारी संख्या में जुट गए. उन्होंने दिनभर राणा दंपति के घर के बाहर हंगामा किया. शिवसैनिकों ने राणे दंपति पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज करवा दिया था. इसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म, जाति या भाषा के आधार पर 2 समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए) के तहत राणा दम्पति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 

राणा के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह केस बिना बात का है. राणा दंपति चुने हुए नेता (सांसद और विधायक) हैं और कहीं नहीं भागेंगे, इसलिए उनकी आजादी उनसे नहीं छीनी जानी चाहिए.वकील ने कहा था कि पुलिस ने भी उनकी कस्टडी नहीं मांगी है, जिसकी वजह से वे अबतक न्यायिक हिरासत में हैं. दोनों की 8 साल की बेटी है. दोनों पर कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं लेकिन उनको आजाद किया जाना चाहिए. इसके अलावा वकील द्वारा कई तरह के तर्क भी रखे गए. कहा गया कि राणा दंपति मातोश्री अकेले गए थे. उनके साथ कोई कार्यकर्ता भी नहीं था. हिंसा करने का कोई उदेश्य नहीं था. इसके बावजूद भी प्रदर्शन को सरकार के खिलाफ बता दिया गया. असल में विरोध प्रदर्शन तो सरकार के समर्थक कर रहे थे. यहां पर देशद्रोह जैसा कोई मामला नहीं बनता.

राणा दंपति के वकील आबाद पांडा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकार की आलोचना लोकतंत्र का मूल गुण है. वास्तव में, लोकतंत्र सरकार की आलोचना है."

राणा दंपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता अबाद पोंडा ने कहा कि, केवल अपराध करने का इरादा रखने वाले को दंडित नहीं किया जा सकता है. कुछ मंशा को अंजाम देने और वास्तव में अपराध करने पर दंडित किया जा सकता है.