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Pune Ganeshotsav Photograph: (NN)
Pune: महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में इस वर्ष भी गणेशोत्सव का आगाज़ पारंपरिक भव्यता और उल्लास के साथ हुआ. देश के पहले सार्वजनिक गणपति मंडल के रूप में पहचान रखने वाले श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट में बुधवार को विधिवत तरीके से गणपति बप्पा की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई. इस अवसर पर आध्यात्मिक प्रवचिका और युवाओं के बीच लोकप्रिय जया किशोरी ने मूर्ति स्थापना कर धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए. सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ पुणे की गलियों और मंदिर परिसर में उमड़ पड़ी, जहां भक्ति और उत्सव का अद्भुत संगम दिखाई दिया.
पारंपरिक शोभायात्रा बनी आकर्षण
गणेश चतुर्थी की सुबह मंगल आरती के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत हुई. इसके बाद सुबह 8:30 बजे भव्य पारंपरिक शोभायात्रा निकाली गई. ढोल-ताशों की गूंज, शंखनाद की ध्वनि और लाठी-काठी की शानदार प्रस्तुतियों ने यात्रा को खास बना दिया. सात प्रमुख ढोल-ताशा दलों ने एक साथ बप्पा को नमन कर माहौल को ऊर्जा से भर दिया. शहर की गलियां “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों से गूंज उठीं. खास बात यह रही कि गणेशजी का रथ परंपरा अनुसार बैलों की जगह मंडल के कार्यकर्ताओं ने स्वयं खींचा, जिसे मंडल की पहचान और गर्व का प्रतीक माना जाता है.
जया किशोरी ने की परंपरा की सराहना
शुभ मुहूर्त दोपहर 12:15 बजे जया किशोरी ने गणपति बप्पा की प्राण प्रतिष्ठा पूरी की. इसके बाद धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की गईं. इस अवसर पर उन्होंने मंडल की ऐतिहासिक धरोहर और राष्ट्रभक्ति से जुड़े संदेश की प्रशंसा की. साथ ही, मंडल द्वारा आयोजित ‘डीजे-मुक्त शोभायात्रा’ को सराहनीय पहल बताया. उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों की वास्तविक सुंदरता तभी है जब उन्हें परंपरा और संस्कृति के अनुरूप मनाया जाए.
युवाओं से किया खास आग्रह
जया किशोरी ने उपस्थित युवाओं से अपील की कि वे ऐसे आयोजनों में शामिल होकर इतिहास और परंपरा को जानें और आगे बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि पुणे के भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंडल की अनूठी पहचान और अनुशासित शोभायात्रा युवाओं को समाज और संस्कृति से जोड़ने का कार्य करती है.
भारत का पहला सार्वजनिक गणपति मंडल
बता दें कि श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट को देश का पहला सार्वजनिक गणपति मंडल माना जाता है. हर साल यहां गणेशोत्सव बड़े धूमधाम और पारंपरिक रूप में मनाया जाता है. इस बार की अनुशासित और सांस्कृतिक शोभायात्रा ने पुणेवासियों और बाहर से आए श्रद्धालुओं को आकर्षित किया, जो आने वाले दिनों में और भी उत्साह और भक्ति का माहौल बनाए रखेगी.
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