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महाराष्ट्र सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर एक अहम निर्णय लेते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और पूर्व एनआईए प्रमुख सदानंद दाते को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया है. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से औपचारिक आदेश जारी कर दिए गए हैं. सदानंद दाते ने मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला की जगह ली है, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब राज्य में आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को लेकर कई अहम चुनौतियां सामने हैं.
तीन दशक से अधिक का प्रशासनिक अनुभव
सदानंद दाते 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें महाराष्ट्र पुलिस के सबसे अनुभवी अधिकारियों में गिना जाता है. हाल ही में केंद्र सरकार ने उन्हें उनके मूल कैडर महाराष्ट्र में वापस भेजने की मंजूरी दी थी, जिसके बाद उनके डीजीपी बनने का रास्ता साफ हुआ. अपने लंबे करियर के दौरान उन्होंने राज्य और केंद्र-दोनों स्तरों पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं.
महाराष्ट्र में निभाई अहम भूमिकाएं
महाराष्ट्र में रहते हुए सदानंद दाते राज्य आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) के प्रमुख रह चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने मुंबई में संयुक्त पुलिस आयुक्त और संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) जैसे संवेदनशील पदों पर कार्य किया. वे मीरा-भायंदर-वसई-विरार क्षेत्र के पुलिस आयुक्त भी रह चुके हैं, जहां शहरी अपराध और जनसंख्या दबाव से निपटना बड़ी चुनौती मानी जाती है.
केंद्रीय एजेंसियों में भी निभाई जिम्मेदारी
राज्य के अलावा सदानंद दाते का अनुभव केंद्रीय एजेंसियों में भी रहा है. वे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में उप महानिरीक्षक और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में महानिरीक्षक के पद पर कार्य कर चुके हैं. बाद में उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का महानिदेशक नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई संवेदनशील मामलों की निगरानी की.
26/11 हमले के दौरान बहादुरी
सदानंद दाते का नाम देशभर में उस समय चर्चा में आया, जब वे 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान कामा अस्पताल में आतंकियों से आमने-सामने हुए. इस दौरान उनकी अजमल कसाब से भिड़ंत हुई और वे गंभीर खतरे के बावजूद जीवित बच निकले. आतंकवादियों से बहादुरी से मुकाबला करने के लिए उन्हें वर्ष 2008 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया.
कार्यकाल और आगे की चुनौतियां
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी राज्य के डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष का होना चाहिए. नई नियुक्ति के बाद सदानंद दाते का कार्यकाल 2027 के अंत तक रहने की संभावना है. कानून-व्यवस्था, साइबर अपराध, संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे मुद्दों से निपटना उनके सामने बड़ी चुनौती होगी. उनके अनुभव को देखते हुए सरकार और जनता दोनों को उनसे मजबूत और प्रभावी पुलिस नेतृत्व की उम्मीद है.
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