महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह बीजेपी में हो सकते हैं शामिल
कांग्रेस में लंबी पारी खेल चुके मूलतः उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी कृपाशंकर सिंह कांग्रेस छोड़ने के बाद अब तक किसी अन्य पार्टी में नहीं गए.
highlights
- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की उपस्थिति में भाजपा का दामन थाम सकते हैं
- कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था
- भाजपा पिछले चुनाव में शिवसेना से सिर्फ चंद सीटों से पीछे रह गई थी
मुंबई:
महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह भाजपा में प्रवेश करने जा रहे हैं. सिंह ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति की बाद कांग्रेस के रुख का विरोध करते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था. माना जा रहा है कि सिंह के भाजपा प्रवेश से मुंबई महानगरपालिका के आगामी चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं. कांग्रेस में लंबी पारी खेल चुके मूलतः उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी कृपाशंकर सिंह कांग्रेस छोड़ने के बाद अब तक किसी अन्य पार्टी में नहीं गए.
विस चुनाव के बाद बदला उतारना चाहती बीजेपी
बुधवार को दोपहर 12 बजे वह फडणवीस एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की उपस्थिति में भाजपा का दामन थाम सकते हैं. कृपाशंकर सिंह का भाजपा प्रवेश मुंबई महानगरपालिका (मनपा) के अगले साल होने जा रहे चुनावों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है. भाजपा पिछले चुनाव में शिवसेना से सिर्फ चंद सीटों से पीछे रह गई थी. इस बार वह मनपा पर कब्जा कर शिवसेना को सबक सिखाना चाहती है. खासतौर से पिछले विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने जिस तरह से पाला बदला है, भाजपा उसका बदला लेना चाहती है.
फडणवीस से भी पिछले कुछ समय से संपर्क में
हालांकि कांग्रेस की ओर से उनपर यह आरोप भी लगाया गया कि वह चुनाव जीतने की गरज से भाजपा या शिवसेना में जाना चाहते हैं. लेकिन उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा. पता चला है कि पिछले कुछ महीनों में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से मुलाकात हो चुकी है. मुंबई में पूर्व मुख्यमंत्री एवं अब नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस से भी वह पिछले कुछ समय से लगातार संपर्क में हैं. अब उनका भाजपा में जाना तय हो गया है.
संगठन क्षमता से उभरकर सामने आया चेहरा
उनके मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष रहते कांग्रेस-राकांपा गठबंधन मुंबई की सभी छह लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रहा था. इनमें पांच सीटें कांग्रेस ने और एक उसकी सहयोगी राकांपा ने जीती थीं. उनके मुंबई अध्यक्ष रहते विधानसभा चुनाव में भी मुंबई की 34 में से 22 सीटें कांग्रेस जीती थी. इनमें सर्वाधिक छह हिंदीभाषी विधायक भी पहली बार ही चुनकर आए थे. यहां तक कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव में भी उनके कार्यकाल के दौरान 18 हिंदीभाषी सभासद चुनकर आए थे. अब भाजपा सिंह की इसी संगठन क्षमता का इस्तेमाल कर मुंबई के समीकरण अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है.
हिंदीभाषी चेहरा लाकर कमी दूर करने का प्रयास
मुंबई में कई वार्ड ऐसे हैं, जहां हिंदीभाषी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मूलतः यह वर्ग कांग्रेस से ही जुड़ा रहा है. 2014 के बाद मोदी के नाम पर हिंदीभाषियों का रुझान तो भाजपा की ओर हुआ है, लेकिन मुंबई भाजपा में कोई प्रभावी हिंदीभाषी चेहरा न होने के कारण वह भाजपा से पूरी तरह जुड़ नहीं पा रहा है. भाजपा अब कृपाशंकर को लाकर इसी कमी को दूर करना चाहती है. मुंबई की करीब सवा करोड़ आबादी में हिंदीभाषियों की संख्या 40 लाख के लगभग आंकी जाती है. मूलतः रायबरेली निवासी डा.राममनोहर त्रिपाठी के बाद कृपाशंकर सिंह ही निर्विवाद हिंदीभाषी नेता के रूप में उभरकर सामने आ सके हैं.
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