सुप्रीम कोर्ट ने 19 पेज के अपने अंतरिम आदेश के ऑपरेटिव पार्ट में यह साफ किया है कि आखिर इस मामले में कोर्ट के दखल की जरूरत क्यों है, साथ ही कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया क्या रहे, यह भी साफ किया है.
सुप्रीम कोर्ट के दखल की ज़रूरत क्यों ?
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि विधानसभा चुनाव परिणाम को आए 1 महीने से ज़्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अभी तक निर्वाचित विधायकों को शपथ नहीं दिलाई गई है ऐसे में इस तरह के हालातों के मद्देनजर , खरीद फरोख्त जैसी किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि से बचने के लिए और लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए स्थाई सरकार की ज़रूरत है. इस लिहाज से फ़्लोर टेस्ट कराना जरूरी है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास बहुमत का आंकड़ा है या नहीं।कोर्ट ने कहा कि चूंकि विधायकों ने भी शपथ नहीं ली है ,स्पीकर की नियुक्ति अभी होना बाकी है इसलिए हम महाराष्ट्र के गवर्नर से आग्रह करते हैं कि वह 27 नवंबर को फ़्लोर टेस्ट की प्रकिया सुनिश्चित करें .
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फ्लोर टेस्ट की प्रकिया क्या रहेगी ?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे फ़्लोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया के बारे में कहा है-
*सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाए
* इसके बाद 27 नवंबर को सभी निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाए. शपथ दिलाए जाने की पूरी प्रक्रिया शाम 5:00 बजे तक खत्म की जाए.
*इसके तुरंत बाद फ़्लोर टेस्ट शुरू किया जाए और यह पूरी प्रक्रिया प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में हो.
*फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पारदर्शी हो.
* कोई गुप्त मतदान ना हो और उसके सजीव प्रसारण की व्यवस्था भी की जाए
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12 हफ़्ते बाद आगे सुनवाई होगी
कोर्ट ने इस मामले में गवर्नर के फैसले की न्यायिक समीक्षा से जुड़े बड़े मसले को लेकर सभी प्रतिवादियों केंद्र, महाराष्ट्र सरकार, अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस से 8 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इसके बाद दूसरे पक्ष 4 हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल कर सकते है. 12 हफ्ते के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी