Disha Salian Case: आदित्य ठाकरे को मिली बड़ी राहत, दिशा सालियन मौत मामले में क्लीन चिट

Disha Salian Case: इस केस में बीते पांच वर्षों से आदित्य ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए जाते रहे हैं. बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिशा सालियान की मौत का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था.

Disha Salian Case: इस केस में बीते पांच वर्षों से आदित्य ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए जाते रहे हैं. बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिशा सालियान की मौत का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था.

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Yashodhan.Sharma
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Disha Salian Case: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे को दिशा सालियान मौत मामले में आज बड़ी राहत मिली है. बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे (एफिडेविट) में साफ कहा गया है कि दिशा सालियान की मौत आत्महत्या थी, हत्या नहीं. यह एफिडेविट मुंबई पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की रिपोर्ट पर आधारित है.

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5 वर्षों से गंभीर आरोप लगते रहे

इस केस में बीते पांच वर्षों से आदित्य ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए जाते रहे हैं. बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिशा सालियान की मौत का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. आदित्य ठाकरे को दिशा की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर राजनीतिक हमले किए गए.

बता दें कि दिशा सालियान, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थीं. 8 जून 2020 को उन्होंने मुंबई के मलाड इलाके में एक इमारत की 14वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. मामला शुरुआत से ही विवादों में रहा और इसे हाई-प्रोफाइल केस बताया गया.

2022 में हुई थी बहस

इस बीच बीजेपी नेता नितेश राणे ने कई बार आरोप लगाया था कि दिशा की मौत के पीछे गहरी साजिश है और आदित्य ठाकरे इसमें शामिल हैं. उन्होंने सबूत होने का दावा भी किया था. 2022 में महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई थी.

अब SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिशा सालियान की मौत आत्महत्या थी और किसी प्रकार के आपराधिक साजिश के प्रमाण नहीं मिले हैं. इस रिपोर्ट के बाद आदित्य ठाकरे ने कहा, 'मुझे पहले से पता था कि ये सारे आरोप झूठे हैं. अब सच सबके सामने है.'

हालांकि, बीजेपी नेता नितेश राणे ने रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब दिशा की मौत हुई, तब राज्य में उद्धव ठाकरे की सरकार थी और सबूत मिटाए गए होंगे.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला अब आगामी बीएमसी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. शिवसेना (यूबीटी) इसे 'ठाकरे ब्रांड' के खिलाफ साजिश बताकर मराठी मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है.

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