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क्‍या महाराष्‍ट्र में शिवसेना-एनसीपी के बीच पक गई खिंचड़ी? दोनों दलों के नेताओं ने दिए बड़े संकेत

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में लगता है कि शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी (NCP) की पार्टी के बीच खिंचड़ी पक गई है. दोनों दलों के नेताओं ने जो संकेत दिए हैं, उससे तो यही अनुमान निकलता है कि दोनों दल एक साथ आने को राजी हो गए हैं.

Updated on: 03 Nov 2019, 01:11 PM

नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में लगता है कि शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी (NCP) की पार्टी के बीच खिंचड़ी पक गई है. दोनों दलों के नेताओं ने जो संकेत दिए हैं, उससे तो यही अनुमान निकलता है कि दोनों दल एक साथ आने को राजी हो गए हैं. बीजेपी (BJP) के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान दे रहे शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्‍ठ नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने दावा किया है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. संजय राउत ने कहा, हमारे पास अभी 170 विधायक हैं और यह संख्‍या 175 तक जा सकती है. दूसरी ओर, एनसीपी नेता नवाब मलिक (NCP Nawab Malik) ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि शिवसेना अगर एनडीए (NDA) से नाता तोड़ दे तो हम उसे समर्थन देने पर विचार कर सकते हैं.

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हालिया संपन्‍न हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना के 56, कांग्रेस के 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 54 विधायक जीतकर आए हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या महाराष्‍ट्र में एक दर्जन से अधिक है. अगर ये सभी एक साथ आते हैं तो आंकड़ा 170 के करीब पहुंचता है.

वहीं, सोनिया गांधी और शरद पवार से मुलाकात से ठीक पहले मुंबई में एनसीपी मुख्यालय में पार्टी नेताओं की बड़ी बैठक हो रही है, जिसमें महाराष्‍ट्र की राजनीति को लेकर चर्चा हो सकती है. इस बीच एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा है कि महाराष्‍ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना मुमकिन है. शिवसेना अपनी भूमिका एकदम स्पष्‍ट करें. हम भी अपनी भूमिका बता देंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है और हम उसके लिए तैयार हैं.

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इससे पहले सामना में एक आर्टिकल के जरिए शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, बीजेपी को ईडी, पुलिस, पैसा, धाक के दम पर अन्य पार्टियों के विधायक तोड़कर सरकार बनानी पड़ेगी. बीजेपी को चिढ़ाते हुए शिवसेना ने सामने में लिखा, शिवसेना के बगैर बहुमत होगा तो सरकार बना लो, मुख्यमंत्री बन जाओ. बीजेपी में आज देवेंद्र फडणवीस का कोई विरोधी नहीं है. यह अजीबोगरीब संयोग है. आज गोपीनाथ मुंडे होते तो महाराष्ट्र का दृश्य अलग दिखा होता तथा मुंडे मुख्यमंत्री बन ही गए होते तो युति में आज जैसी कटुता नहीं दिखी होती.

दूसरी ओर, महाराष्ट्र में बीजेपी एक-दो दिन इंतजार करने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी 4 और 5 नवंबर के बाद शिवसेना से फिर बातचीत शुरू करेगी, क्योंकि तब तक कांग्रेस और एनसीपी का रुख साफ हो चुका होगा. बता दें कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीट चाहिए. जबकि बीजेपी के पास अभी निर्दलीय विधायकों की संख्‍या मिलाकर कुल 120 ही नंबर हैं.