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Ganeshotsav Photograph: (News Nation)
महाराष्ट्र में पिछले दस दिनों से चल रहा राज्य का सबसे बड़ा उत्सव, गणेशोत्सव आज यानी रविवार सुबह बप्पा के विसर्जन में साथ समाप्त हो गया. इस दौरान भगवान गणेश के करोड़ों भक्तों ने नम आँखों के साथ अपने प्यारे गणपति बप्पा को विदा किया. महाराष्ट्र के 2 प्रमुख शहर यानी मुंबई और पुणे में गणेश विसर्जन की एक अलग ही तस्वीर दिखाई दी जहाँ बप्पा के करोड़ों भक्तों ने 2 लाख से ज़्यादा गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया.
20 घंटो तक चली शोभा यात्रा, ख़ास रथ पर सवार हुए ‘गणपति बप्पा’
भारत के पहले सार्वजनिक गणपति, पुणे के श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति की शोभा यात्रा में हज़ारो श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी. करीब 20 घंटों तक पुणे की सड़कों पर आस्था और संस्कृति का ये अद्भुत संगम देखने को मिला. शनिवार अनंत चतुर्दशी की सुबह 7:30 बजे डीसीपी कृशिकेश रावले ने मंडप में पारंपरिक पूजा-अर्चना की, जिसके बाद सुबह 8 बजे प्रतिमा को रत्न महल से बाहर निकालकर बप्पा के लिए खास तैयार ‘श्री गणेश रत्न रथ’ पर स्थापित किया गया. ये रथ मंडई स्थित टिळक प्रतिमा से मुख्य शोभा यात्रा में शामिल हुआ और शाम होते-होते औपचारिक विसर्जन यात्रा की शुरुआत हुई, जो देर रात तक चलती रही.
इस शोभा यात्रा में महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर पूरी शान से नजर आई. मर्दानी खेल की रोमांचक प्रस्तुतियों ने मराठा वीरों की बहादुरी को दर्शाया, जबकि श्रीराम और रामणबाग ढोल-ताशा पथक की गूंज ने वातावरण को ऊर्जावान बना दिया. इस मौके पर श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट के न्यासी और उत्सव प्रमुख पुणीत बालन ने कहा,
“इस वर्ष का विसर्जन जुलूस विशेष रूप से आकर्षक रहा. ‘श्री गणेश रत्न रथ’ की सजावट अद्भुत थी. पारंपरिक ढोल-ताशा पथक और मर्दानी खेल की प्रस्तुति ने जुलूस को और भव्य बना दिया. परंपरा के अनुसार हमारी ओर से सभी पाँच मानाचे गणपति को पुष्पहार अर्पित किए गए.”
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ जीत, विसर्जन में नहीं बजा डीजे
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस बार विसर्जन के दौरान डीजे बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. वहीं पुणे के प्रसिद्ध श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट द्वारा भी गणेश पंडालों से आवाहन किया गया था की वो इस वर्ष डीजे का इस्तेमाल ना करें और ये मुहिम सफल भी रहा. पुणीत बालन ने कहा,
“पुणे का विसर्जन जुलूस दुनिया भर के भक्तों को आकर्षित करता है. इस बार विशेष खुशी इस बात की रही कि लोगों ने हमारे डीजे-रहित गणेशोत्सव के आह्वान को बड़ी संख्या में स्वीकार किया. मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 5–6 वर्षों में पुणे का संपूर्ण गणेशोत्सव डीजे-रहित होगा.
क्यों खास है पुणे का “श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति”
1892 में स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि पर स्थापित श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंडल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव का भी द्योतक है. इस वर्ष का विसर्जन एक बार फिर पुणे की भक्ति और परंपरा की गरिमा को उजागर करता है, साथ ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव का भव्य समापन करता है.