महाराष्ट्र की सियासत में उबाल, पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस पुलिस हिरासत में
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उबाल में है. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बीजेपी लगातार उद्धव सरकार पर दबाव बना रही है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उबाल में है. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बीजेपी लगातार उद्धव सरकार पर दबाव बना रही है. इसी क्रम में नागपुर में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे पूर्व सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को पुलिस ने शनिवार को हिरासत में लिया है. इस दौरान फडणवीस के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा. आपको बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में SC ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक बताया.
समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा मराठा आरक्षणः SC
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मराठा आरक्षण पर फैसला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षण के लिए 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मामले में इंदिरा साहनी केस पर आया फैसला सही है, इसलिए उसपर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण (Maratha Reservation) के फैसले को बरकरार रखा था. न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इंदिरा साहनी फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं
इस मुद्दे पर लंबी सुनवाई में दायर उन हलफनामों पर भी गौर किया गया कि क्या 1992 के इंदिरा साहनी फैसले (इसे मंडल फैसला भी कहा जाता है) पर बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की जरूरत है, जिसमें आरक्षण की सीमा 50 फीसदी निर्धारित की गई थी. जस्टिस भूषण ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि जहां तक बात संविधान की धारा 342ए का सवाल है तो हमने संविधान संशोधन को बरकरार रखा है और यह किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है इसलिए हमने मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.
बंबई हाई कोर्ट ने यह कहा था
संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी बंबई हाई कोर्ट ने जून 2019 में कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 फीसदी आरक्षण उचित नहीं है और रोजगार में आरक्षण 12 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए तथा नामांकन में यह 13 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से दलील दी गई है कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने का फैसला संवैधानिक है और संविधान के 102 वें संशोधन से राज्य के विधायी अधिकार खत्म नहीं होता है. ध्यान रहे कि कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने भी आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र जैसा ही तरह का रुख अपनाया है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए