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वीर सावरकर को लेकर देवेंद्र फडणवीस और पोते रंजीत ने कांग्रेस पर बोला हमला, कही ये बड़ी बात

महाराष्ट्र में वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर फिर राजनीति गरम हो गई है. कांग्रेस ने एक बार फिर वीर सावरकर को लेकर हमला बोला है.

Updated on: 14 Feb 2020, 04:28 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर फिर राजनीति गरम हो गई है. कांग्रेस ने एक बार फिर वीर सावरकर को लेकर हमला बोला है. महाराष्ट्र कांग्रेस की मराठी भाषा की मासिक पत्रिका शिदोरी नामक अंक में वीर सावरकर के निजी चरित्र पर टिप्पणी की गई है.ॉ

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कांग्रेस ने अपने मुखपत्र शिदोरी से एक बार फिर सावरकर के चरित्र पर सवाल उठाया है. शिदोरी पत्रिका के पहले लेख में कहा गया है कि वीर सावरकर से जुड़े जो तमाम दस्तावेज सामने आते हैं, उन्हें देखने के बाद वह स्वातंत्र्यवीर नहीं, बल्कि माफीवीर के रूप में सामने आते हैं. यह आलेख मराठी की एक मासिक पत्रिका ‘साम्ययोग साधना’ से साभार लिया गया है. दूसरे लेख में सावरकर के जीवन से जुड़े कुछ बेहद निजी पहलुओं को रखा गया है, जिसमें एक ऐसी घटना का भी जिक्र है, जो सीधे उनके चरित्र से जुड़ी हैं

विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस ने सावरकर के खिलाफ लेख प्रकाशित कर उनके चरित्र पर सवाल उठाए हैं. मैं सीएम उद्धव ठाकरे से इस पर कार्रवाई करने की अपील करता हूं. हम दो मामले दर्ज कर चुके हैं और अब कांग्रेस के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का केस दायर करेंगे.

शिवसेना हमेशा से सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करती रही है, लेकिन बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी साफ कह दिया है कि सेना अब अपने हिन्दुत्त्व के विचारधारा पर दिख नहीं रही है.

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यह पहला मौका नहीं है, जब सावरकर पर कांग्रेस की ओर से लेखों के जरिए हमला बोला गया है. कांग्रेस अपने बातों से बिल्कुल मुखर नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पलटवार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि सच्चाई को शिदोरी में बताया गया है. सावरकर का जो सच है वही हमने लिखा है, लेकिन भाजपा हर राज्य में हार रही है, इसलिए वो बार-बार सावरकर का मुद्दा उठा रही है.

वीर सावरकर के सम्मान में विधानसभा में प्रस्ताव लाने की मांग महाराष्ट्र में पूर्वमंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने भी की. उन्होंने कहा कि भाजपा सावरकर पर शिवसेना का रुख जानना चाहती है. मुनगंटीवार ने भी यह भी कहा कि शिवसेना तय करे कि सीएम की कुर्सी प्यारी है या वीर सावरकर.

इस सभी मामले पर सूबे के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने नेताओं से अपील की है कि सरकार को मुश्किलों में डालने वाले बयान कोई न दे. इसका मतलब शिवाजी महाराज और सावरकर को लेकर शिवसेना चुप्पी साधी हुई है.