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महाराष्ट्र में आज से मानसून सत्र की शुरुआत, देवेंद्र फडणवीस ने उठाए ये सवाल

महाराष्ट्र विधानसभा का मॉनसून सत्र कल से शुरू हो रहा है. कोरोना महामारी के चलते इस बार का सत्र दो दिनों का ही होने वाला है. दो दिन का सत्र बगैर किसी शोर-शराबे के साथ बीत जाए, इसके लिए सत्तारूढ़ शिवसेना बीजेपी के साथ-साथ की मान मनौव्‍वल में जुटी हुई है

Updated on: 05 Jul 2021, 12:10 AM

highlights

  • आज से मानसून सत्र की शुरुआत
  • महामारी के नाम पर लोकतंत्र खत्म करने का काम
  • तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव

 

 

मुंबई :

महाराष्ट्र विधानसभा का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो रहा है. कोरोना महामारी के चलते इस बार का सत्र दो दिनों का ही होने वाला है. दो दिन का सत्र बगैर किसी शोर-शराबे के साथ बीत जाए, इसके लिए सत्तारूढ़ शिवसेना बीजेपी के साथ-साथ की मान मनौव्‍वल में जुटी हुई है. रविवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि विपक्षी दल बीजेपी के मन में अगर महाराष्ट्र के लोगों का हित है तो उसे मानसून सत्र सुगमता से चलने देना चाहिए. वैसे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर कई तरह के सवाल उठाए हैं. 

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में आज से शुरू हो रहे सत्र में कम से कम दिन रखने का रिकॉर्ड राज्य सरकार बना रही है. उन्होंने कहा कि इस सरकार का आठवां सत्र है और कुल मिलाकर सिर्फ 38 दिन का ही यह सारे सत्र हैं. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कोरोना महामारी के समय हुए कुल सत्र मिलाकर 14 दिन ही सत्र हुए हैं जबकि देश का संसद इसी कोरोना महामारी में 69 दिन चले हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के साथ देशभर में कोरोना है लेकिन इस महामारी के नाम पर लोकतंत्र को खत्म करने का काम सरकार कर रही है.

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के 60 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जो फ़िलहाल हो रहा है. सरकार विपक्ष से बात नहीं कर रहा है. ऐसा सिर्फ इमरजेंसी के समय होता था.  उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कहा है कि सदस्यों ने 35 दिन पहले जो प्रश्न भेजे थे, उसपर बात नहीं किया जाएगा.  देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में ओबीसी और मराठा आरक्षण का मुद्दा है. इसके साथ ही किसानों की परेशानी भी बढ़ी है. पिछले साल के फसल की बीमा भी किसानों को नहीं मिल पाया है. महाराष्ट्र में 100 से ज़्यादा ज़रूरी मुद्दे हैं जिनपर चर्चा होना चाहिए लेकिन इन सभी पर कोई बात नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि सदन में जो कुछ कहा जा सकता है वो कहेंगे. लेकिन अगर इन्हें लगता है कि लोकतंत्र को खत्म करेंगे तो ऐसा नहीं होने देंगे. सदन में जो मुद्दे नहीं रख सकते हैं, उसे मीडिया या सड़क के ज़रिए हम उठाएंगे. 

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है, इस संबंध में राउत ने कहा कि अगर महा विकास अघाडी ऐसा प्रस्ताव रख रही है तो इसका अर्थ है कि गठबंधन की तीनों पार्टियां उसका समर्थन कर रही हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सत्तासीन महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कांग्रेस और शिवसेना शामिल हैं.