logo-image

महाराष्ट्र सदन घोटाले में छगन भुजबल और उनके बेटे-भतीजे को अदालत ने किया बरी

भुजबल के वकीलों ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट किसको दिया जाना है इसका फैसला कैबिनेट इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी (CIC) ने लिया था, जिसके प्रमुख तब के सीएम विलासराव देशमुख थे.

Updated on: 09 Sep 2021, 05:09 PM

highlights

  • महाराष्ट्र सदन घोटाले में एनसीपी नेता छगन भुजबल पर  भ्रष्टाचार का था आरोप 
  • साल 2005-2006 के दौरान बिना टेंडर जारी किए ठेका केएस चमनकर इंटरप्राइजेज को देने का आरोप 
  • भुजबल को ईडी ने 2016 मार्च में अरेस्ट किया था, फिर 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी जमानत  

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र सदन घोटाले में  उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) के साथ-साथ उनके बेटे और भतीजे को भी बरी कर दिया गया है. महाराष्ट्र सदन घोटाले का मामला मुंबई सेशन कोर्ट में था, जिस पर गुरुवार को फैसला आया है. छगन भुजबल फिलहाल महाराष्ट्र सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के मंत्री हैं. छगन भुजबल के साथ-साथ उनके बेटे पंकज भुजबल (पूर्व एनसीपी विधायक) और उनके भतीजे समीर भुजबल (पूर्व एनसीपी सांसद) को भी बरी किया गया है. छगन भुजबल नेशनल कांग्रेस पार्टी के नेता हैं.

भुजबल परिवार को बरी किए जाने का एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दामनिया ने काफी विरोध किया था. ACB की तरफ से दावा किया गया था कि उनके पास भुजबल और उनके परिवार के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. वहीं भुजबल की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि सभी आरोप झूठे हैं और गलत हिसाब लगाकर उनपर घोटाले का आरोप लगाया गया है. उन्होंने ACB की जांच पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने ऑर्डर पर अंजली दामनिया ने कहा कि महाराष्ट्र सदन घोटाला ACB द्वारा दर्ज 7 केसों में से एक था. सेशन कोर्ट के इस ऑर्डर को वह हाईकोर्ट में चुनौती देंगी.

यह भी पढ़ें:कर्नाटक कांग्रेस आगामी विधानसभा सत्र में बोम्मई सरकार को घेरने की करेगी कोशिश

भुजबल के वकीलों ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट किसको दिया जाना है इसका फैसला कैबिनेट इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी (CIC) ने लिया था, जिसके प्रमुख तब के सीएम विलासराव देशमुख थे. साथ ही CIC में कई अन्य मंत्री भी शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि डिवेलपर को चुनने में भुजबल का कोई रोल नहीं था. 

महाराष्ट्र सदन मामले में एक विशेष अदालत द्वारा एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों को बरी किए जाने के बाद  उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता जश्न मनाते दिखे. भुजबल समर्थकों ने ढोल-नगाड़े के साथ मुंबई में जश्न मनाया. 

महाराष्ट्र सदन घोटाले में क्या थे आरोप

महाराष्ट्र सदन घोटाले में एनसीपी नेता छगन भुजबल पर आरोप है कि साल 2005-2006 के दौरान उन्होंने बिना टेंडर जारी किए ठेका केएस चमनकर इंटरप्राइजेज को दे दिया था.

आरोप था कि इसके बदले भुजबुल और उनके परिवार को फायदा पहुंचाया गया था. बता दें कि ACB की रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी भुजबल पर केस दर्ज किया था. उसपर भी सुनवाई बाकी है. भुजबल को ईडी ने 2016 मार्च में अरेस्ट किया था, फिर 2018 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी.

अदालत से बरी होने पर छगन भुजबल ने कहा कि, वह मामला उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है, लेकिन (विशेष) अदालत ने स्वीकार किया है कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, इसलिए उन्होंने मुझे बरी कर दिया. मेरी पार्टी मेरे पीछे खड़ी थी. पुलिस ने मेरे बेटे पंकज को भी निशाना बनाया. इस मामले में मेरा परिवार परेशान था.