Corona Virus: लॉकडाउन के बीच सैक्स वर्करों का छलका दर्द, बोलीं- इतना बम फटा, अटैक हुआ, लेकिन...

मुंबई में देह व्यापार के लिए कुख्यात कमाठीपुरा की गलियां कोरोना वायरस के कारण वीरान पड़ी हुई हैं और वहां बतौर सैक्स वर्कर काम करने वाली हजारों महिलाओं के लिए हालात भयावह बनते जा रहे हैं.

मुंबई में देह व्यापार के लिए कुख्यात कमाठीपुरा की गलियां कोरोना वायरस के कारण वीरान पड़ी हुई हैं और वहां बतौर सैक्स वर्कर काम करने वाली हजारों महिलाओं के लिए हालात भयावह बनते जा रहे हैं.

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Deepak Pandey
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सैक्स वर्कर( Photo Credit : फाइल फोटो)

मुंबई में देह व्यापार के लिए कुख्यात कमाठीपुरा की गलियां कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण वीरान पड़ी हुई हैं और वहां बतौर सैक्स वर्कर काम करने वाली हजारों महिलाओं के लिए हालात भयावह बनते जा रहे हैं. लगातार 8वां दिन है जब सैक्स वर्कर वंदना (बदला हुआ नाम)के पास एक भी ग्राहक नहीं आया है. नेपाल की रहने वाली वंदना पिछले 25 साल से देह व्यापार के धंधे में है. उसने ‘मुंबइया शैली’ की हिंदी में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘पूरा जिंदगी इधर निकाला, इतना बम फटा, अटैक हुआ, कितना बीमारी आया लेकिन ऐसा हालत कभी नहीं था.’

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उसने पिछले रविवार से एक भी रुपया नहीं कमाया है और अगले कुछ दिनों में उसे हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. उसने कहा कि अगर यह चलता रहा तो मैं क्या खाऊंगी, मैं मकान मालिक को किराया कैसे दूंगी?. वंदना के अलावा उसके साथ कमरे में तीन और महिलाएं रहती हैं और वे सामान्य दिनों में दो से तीन हजार रुपये कमा लेती थीं.

एक दौर में कमाठीपुरा देश में वेश्यावृत्ति का अड्डा था. विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएं यहां देह व्यापार में शामिल हैं. इनमें से कई को तस्करी के जरिए पश्चिम बंगाल, नेपाल तथा बांग्लादेश से यहां लाया गया. आम दिनों में यह इलाका गुलजार रहता था और खासतौर से रात के समय तो पूरा बाजार अलग ही रौशनी में नहाया रहता था, लेकिन आज कल कमाठीपुरा की सड़कें सुनसान पड़ी है.

इस मुश्किल समय में हमलोग कैसे जीवनयापन कर पाएंगे

सैक्स वर्कर प्रीति (बदला हुआ नाम) भी इस बात को लेकर चिंतित है कि वह इस मुश्किल समय में कैसे जीवनयापन कर पाएगी. वह पश्चिम बंगाल से है और उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेला गया. उसका छह साल का बेटा है जिसे वह पुणे में अपने एक परिचित के यहां रखती है ताकि वह स्कूल जा सके और पढ़ाई कर सके. उसने कहा कि हर महीने मुझे अपने बच्चे के लिए कम से कम 1500 रुपये भेजने होते हैं लेकिन अगर मैं कमाऊंगी नहीं तो उसके लिए कैसे पैसे भेज पाऊंगी? मुझे बहुत चिंता है.

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एक अन्य महिला सुनीता (बदला हुआ नाम) ने कहा कि आप मोदी (प्रधानमंत्री) से हमें पैसे भेजने के लिए क्यों नहीं कहते क्योंकि हमारे ऊपर भी बूढ़े माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी है. ग्रांट रोड पर केनेडी ब्रिज के पास स्थित मुंबई संगीत कला मंडल में भी ऐसे ही हालात हैं जहां वेश्याएं अपने अमीर ग्राहकों के लिए ‘मुजरा’ करती हैं. यहां भी विरानी छायी है.

औरतें अपने कमरों के बाहर बैठी हैं ... चेहरों पर उदासी है. इलाके से गुजरत हुए कहीं खिड़की से गाने की आवाज सुनाई पड़ती है, आजा तेरी याद आई ....1970 की फिल्म ‘चरस’ का ये हिट गाना आज के मौजू हालात को एकदम सही बयान करता है.

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