महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के अंतिम दौर में महायुति (बीजेपी और शिवसेना गुट) और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच राजनीतिक संघर्ष और आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. सोमवार रात चांदीवली विधानसभा क्षेत्र में यह तना-तनी साफ तौर पर देखी गई, जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का काफिला इस इलाके से गुजर रहा था. चांदीवली से एमवीए के कांग्रेस नेता नसीम खान चुनावी मैदान में हैं, और इस दौरान उनके कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ.
'गद्दार' के नारे, शिंदे का गुस्सा
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का काफिला जैसे ही नसीम खान के दफ्तर के पास से गुजर रहा था, कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ 'गद्दार... गद्दार' के नारे लगाना शुरू कर दिया. इस बीच, एक युवक संतोष काटके ने मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. इससे शिंदे का गुस्सा भड़क उठा और वह अपनी कार से बाहर आ गए. उन्होंने मौके पर मौजूद कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के नेताओं से सवाल किया, "क्या आप अपने कार्यकर्ताओं को यही सिखाते हैं?"
मुख्यमंत्री की कड़ी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद, उनके सुरक्षा कर्मियों ने संतोष काटके और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. संतोष काटके के पिता, साधु काटके, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले गुट) के जिला अध्यक्ष हैं. संतोष ने इस मामले में कहा, "मुख्यमंत्री हमारे दफ्तर में आए और मेरे पिता से पूछा कि क्या हमारे कार्यकर्ताओं में कोई अनुशासन है? उन्होंने हमें देख लेने की धमकी दी."
नसीम खान और शिंदे के बयान
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, चांदीवली से कांग्रेस उम्मीदवार नसीम खान ने कहा, "यह गलत है कि मुख्यमंत्री ने हमारे दफ्तर में आकर धमकी दी. हम इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहते, लेकिन लोकतंत्र में आलोचना का अधिकार होना चाहिए. ऐसे व्यवहार से आचार संहिता का उल्लंघन होता है."
काटके की शिवसेना यूबीटी में प्रवेश
इस घटनाक्रम का एक और दिलचस्प मोड़ तब आया जब संतोष काटके मंगलवार को मातोश्री पहुंचे और उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इस दौरान, उन्हें आधिकारिक रूप से शिवसेना यूबीटी में शामिल कर लिया गया, जो इस राजनीतिक घटनाक्रम का एक नया मोड़ था. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और यह घटनाक्रम राजनीतिक रूप से अहम बन गया.
नतीजा: बढ़ते राजनीतिक तनाव
यह घटना न केवल चांदीवली बल्कि पूरे महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल में ताजगी लाती है. दोनों प्रमुख दलों के बीच तीखी बयानबाजी और विरोध प्रदर्शन अब हर क्षेत्र में बढ़ते जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के घटनाक्रमों का असर दोनों गुटों के बीच राजनीतिक लड़ाई को और भी तेज कर सकता है.