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CBI raid Photograph: (social)
CBI Action: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को उद्योगपति अनिल डी. अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर हुई है, जिसमें ₹2929.05 करोड़ के नुकसान का आरोप लगाया गया है.
ये है पूरा मामला
सीबीआई ने 21 अगस्त 2025 को आपराधिक मामला दर्ज किया. आरोप है कि आरकॉम और उसके निदेशकों ने अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचते हुए बैंकों से कर्ज लिया और बाद में उसका गलत इस्तेमाल किया. शिकायत में कहा गया है कि ऋण का पैसा व्यावसायिक कार्यों में न लगाकर इंटर-कंपनी ट्रांजेक्शन, फर्जी बिक्री चालान, काल्पनिक देनदारों का निर्माण और संदिग्ध लेन-देन में खर्च किया गया. जांच में रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड और नेटिजन इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड जैसी सहयोगी कंपनियों की भी भूमिका संदिग्ध बताई गई है.
छापेमारी की कार्रवाई
विशेष न्यायालय से तलाशी वारंट लेने के बाद सीबीआई ने 23 अगस्त को मुंबई स्थित आरकॉम के दफ़्तर और अनिल अंबानी के आवास पर छापेमारी शुरू की. सूत्रों के मुताबिक अब तक एजेंसी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और वित्तीय कागजात अपने कब्जे में लिए हैं. जांच अधिकारी कह रहे हैं कि तलाशी अभियान जारी है और जब्त सामग्री का गहन विश्लेषण किया जाएगा.
आरकॉम की गिरती साख
रिलायंस कम्युनिकेशन कभी भारत की अग्रणी दूरसंचार कंपनी मानी जाती थी, लेकिन 2010 के बाद से वित्तीय संकट गहराता गया. 2017 में कंपनी पर करीब ₹45,000 करोड़ का कर्ज चढ़ गया और इसे दिवालिया प्रक्रिया में जाना पड़ा. कई बार पुनर्गठन की कोशिशों के बावजूद कर्ज चुकाना संभव नहीं हुआ और बैंकों को बड़ा घाटा उठाना पड़ा.
अनिल अंबानी पहले भी वित्तीय विवादों में घिरे रहे हैं. 2020 में उन्होंने अदालत में अपनी नेटवर्थ शून्य घोषित की थी. इसके बावजूद उनकी कंपनियों पर बैंकों और निवेशकों का भारी बकाया बना रहा.
बैंकिंग क्षेत्र पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के ऋण घोटाले बैंकिंग प्रणाली के लिए गंभीर खतरा हैं. जब बड़े उद्योगपति बैंक ऋण का दुरुपयोग करते हैं तो इसका असर सीधे तौर पर आम जमाकर्ताओं और करदाताओं पर पड़ता है. एसबीआई समेत अन्य बैंकों को हुआ नुकसान अंततः सरकार और जनता को उठाना पड़ता है.
आगे होने वाली है ये कार्रवाई
सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि जब्त दस्तावेजोंो की जांच के बाद यदि आरोप साबित होते हैं तो न केवल आरकॉम प्रबंधन, बल्कि सहयोगी कंपनियों के निदेशकों और शामिल सरकारी कर्मचारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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