BMC का फरमान... मराठी भाषा में हों दुकानों के साइन बोर्ड, बाकी भाषा बाद में
चुनावी साल में आदेश जारी करते हुए शिवसेना शासित नगर निकाय ने यह भी आदेश दिया है कि शराब के ठेके या बार महान शख्सियतों या ऐतिहासिक किलों के नाम पर नहीं रखे जाएं.
highlights
- बीएमसी ने कहा दुकानों या प्रतिष्ठानों के साइन बोर्ड मराठी भाषा में हों
- इसके बाद ही किसी और भाषा में नाम हो, लेकिन मराठी शब्दों से छोटा
- देश के सबसे रईस नगर निकाय में इसी साल होने हैं चुनाव
मुंबई:
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की मस्जिदों से लाउड स्पीकर उतारने की छिड़ी रार के बीच मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के एक और फैसले से राजनीतिक तूफान खड़ा हो सकता है. बीएमसी ने शहर की दुकानों के साइन बोर्ड को लेकर नया आदेश जारी किया है. इस आदेश में शहर की सभी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को देवनागरी लिपि में मराठी में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे साइन बोर्ड लगाने का आदेश दिया है. यह भी कहा गया है कि दुकान की नाम पट्टिका (Sign Board) में पहले मराठी शब्द होने चाहिए. इस बात का ख्याल भी रखना जरूरी होगा कि अन्य भाषाओं की तुलना में मराठी भाषा में लिखा गया शब्द दूसरे से बड़े अक्षरों में होना चाहिए. यही नहीं बीएमसी ने चेतावनी देते हुए कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
बीएमसी के इसी साल होने हैं चुनाव
अगर इस तरह के आदेशों या बयानों की तह तक जाएं तो इन सबके पीछे राजनीति अधिक प्रतीत होती है. देश के सबसे रईस बीमसी में इसी साल चुनाव होने हैं. ऐसे में इस तरह की कवायद का लक्ष्य वोटों को हासिल करना ही है. इस चुनावी साल में आदेश जारी करते हुए शिवसेना शासित नगर निकाय ने यह भी आदेश दिया है कि शराब के ठेके या बार महान शख्सियतों या ऐतिहासिक किलों के नाम पर नहीं रखे जाएं. यदि किसी दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान के साइन बोर्ड एक से अधिक भाषा में लिखे हों तो देवनागरी नाम बड़े अक्षरों में होने चाहिए.
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मराठी अस्मिता के इर्दगिर्द घूमती है राजनीति
बीएमसी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि संशोधित महाराष्ट्र दुकान और प्रतिष्ठान (नियोजन एवं सेवा शर्तें) अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि देश के सबसे संपन्न नगर निकाय बीएमसी के चुनाव इस साल होने हैं. दुकानों पर मराठी भाषा या मराठी अस्मिता शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) जैसे दलों के लिए एक राजनीतिक मुद्दा रहा है.
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