BJP के इस दांव से चित हो गई शिवसेना, बौखलाहट में दिया यह बयान...
राष्ट्रवादी के समर्थन से बीजेपी (BJP) का महापौर बनने से शिवसेना को धक्का लगा है, ऐसा कहा और लिखा जा रहा है. शिवसेना को धक्का लगने जैसी कोई बात नहीं है.
नई दिल्ली:
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि अहमद नगर में राष्ट्रवादी कांग्रेस के समर्थन से बीजेपी (BJP) का महापौर और उपमहापौर बन गया है. राष्ट्रवादी द्वारा यह समर्थन बिना शर्त दिए जाने से दोनों के ही खाने और दिखाने के दांत अलग हैं, ये एक बार फिर साफ हो गया है. राष्ट्रवादी के समर्थन से बीजेपी (BJP) का महापौर बनने से शिवसेना को धक्का लगा है, ऐसा कहा और लिखा जा रहा है. शिवसेना को धक्का लगने जैसी कोई बात नहीं है. राष्ट्रवादी का समर्थन बीजेपी (BJP) को मिलनेवाला ही था. उनके समर्थन पर अहमद नगर की गदहा चढ़ाई नहीं हुई होती तो उस समय हमें जरूर धक्का लगता. 2014 में इसी राष्ट्रवादी ने बीजेपी (BJP) को सरकार बनाने के लिए इसी तरह का बिना किसी शर्त के समर्थन देने की पेशकश की थी.
मतलब बीजेपी (BJP) और राष्ट्रवादी का यह लफड़ा पुराना है और हमारा किसी तरह का कोई अनैतिक संबंध नहीं है, ऐसा वे बेवजह कहते रहते हैं. इस बहाने दोनों भी नंगे हो गए हैं और महाराष्ट्र उन पर हंस रहा है. विधानसभा चुनाव के बाद बिना किसी शर्त के समर्थन की घोषणा करके राष्ट्रवादी ने सिंचाई घोटाले के अपने नेताओं के लिए कवच-कुंडल प्राप्त किया था और अब अहमद नगर महापालिका में समर्थन देकर केडगांव हत्या मामले के खुद के विधायकों को स्वच्छ करा लिया है. इसे एक तरह की सौदेबाजी कहना होगा.
अहमद नगर में राष्ट्रवादी के सहयोग से महापौर बनाने के लिए बीजेपी (BJP) का जितना अभिनंदन किया जाए, वो कम है क्योंकि अहमद नगर का नतीजा त्रिशंकु होने के बावजूद बीजेपी (BJP) तीसरे स्थान पर फेंक दी गई थी. कुल 68 सीटें हैं और बहुमत के लिए कम-से-कम 35 के आंकड़े की जरूरत थी. शिवसेना 24, राष्ट्रवादी 18, बीजेपी (BJP) 14, कांग्रेस 5, बसपा 4 तथा अन्य एक-दो ऐसा संख्या बल था इसलिए शिवसेना का महापौर बने, ऐसी ही जनभावना और जनमत था. एक तरफ ये कहना कि शिवसेना ही बीजेपी (BJP) का प्राकृतिक मित्र है. दोनों की विचारधारा हिंदुत्ववादी है इसलिए हिंदुत्ववादी मतों का विभाजन नहीं होना चाहिए और दूसरी तरफ राष्ट्रवादी से अप्राकृतिक और अनैतिक संबंध रखते हुए सत्ता का भोग करना.
असली युति हिंदुत्ववादियों से नहीं भ्रष्टवादियों से है इस बात को राष्ट्रवादी से रिश्ता जोड़कर बीजेपी (BJP) ने सिद्ध कर दिया है. बेशर्मी की हद ऐसी कि बीजेपी (BJP) के (‘ईवीएम गड़बड़’ फेम) मंत्री कहते हैं, राष्ट्रवादी का समर्थन हमने विकास के लिए लिया है. फिर तुम्हारे मुख्यमंत्री सिंचाई घोटाले के आरोपियों को उठते-बैठते जेल में भेजने की धमकी देते हैं. उसे जुमलेबाजी कहें क्या?
अहमद नगर में गिरीश महाजन (‘ईवीएम’ फेम) ने जिस तरह से महापौर बनाया है, उसे देखते हुए इसी तरीके से उन्होंने जलगांव-धुले की महाअहमद नगरपालिका जीतकर दिखाई है. धुले महाअहमद नगरपालिका में बीजेपी (BJP) कभी भी 5-7 सीटों से ऊपर नहीं गई थी. वहां अचानक 50 का आंकड़ा हासिल कर सत्ता काबिज की जाती है. जलगांव में भी ऐसा ही हुआ. ये खेल पैसों का और सत्ता के जरिए दाब-दबाव का तथा तकनीकी घोटाले का है. अहमद नगर में वे यह घोटाला नहीं कर पाए क्योंकि हवा शिवसेना की थी और वह स्पष्ट दिखाई दे रही थी.
बीजेपी (BJP) सांसद के पुत्र भी अपने घरेलू मैदान में शिवसेना उम्मीदवार से पराजित हो गए. अहमद नगर की तस्वीर ऐसी है कि ससुर बीजेपी (BJP) में, दामाद राष्ट्रवादी में. ये दोनों एक हो गए. राष्ट्रवादी और बीजेपी (BJP) का लफड़ा नए तरीके से सामने आया है. अब कह रहे हैं कि राष्ट्रवादी के सभी अहमद नगरसेवकों पर कार्रवाई होनेवाली है. ये सब ढोंग है. राष्ट्रवादी के अध्यक्ष शरद पवार या उस दल के प्रदेश स्तर के नेताओं को अहमद नगर में होनेवाले बीजेपी (BJP)-राष्ट्रवादी के इस 'मामले' के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी, ऐसा अब कहा जा रहा है.
शरद पवार को यह पता था या नहीं, ये तो वे ही जानें. मगर अहमद नगर का 'लोकतंत्र' कल 'अंधेर अहमद नगर' बन सकता है. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा जा रहा है कि वो तटस्थ थी. राधाकृष्ण विखे-पाटील इस जिले के हैं. मगर उनका भी अंदर से कीर्तन और ऊपर से तमाशा, ऐसा ही चलता रहता है. राष्ट्रवादी के पैरों में उनकी भी टांग है.
बीजेपी (BJP)-कांग्रेस-राष्ट्रवादी युति का यह 'अहमद नगर पैटर्न' कहां तक जाता है? ये देखना होगा. महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार का जन्म ही मूलत: राष्ट्रवादी के साथ हुए 'अनैतिक' रिश्तों से हुआ है. अहमद नगर में वह फिर से उबाल पर है और बीजेपी (BJP) को वहां पर महापौर-उपमहापौर पद की प्राप्ति हुई है.
अतुल बनसोडे नामक कवि की एक पंक्ति इन सबके मुंह पर एक करारा तमाचा है-
‘बारह महीने तप किया और गधे संग पाप किया!’
सत्य यही है! अहमद नगर के बहाने वह एक बार फिर महाराष्ट्र की जनता के सामने आया है.
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