Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार है. विधानसभा चुनाव में महायुति को मिले प्रचंड बहुमत के बाद नवंबर में सरकार बनी. जिसमें देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. इससे पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना में कई दिनों बात नहीं बनी. अब जब सरकार बन गई तो शिवसेना के 25 वर्तमान और पूर्व विधायकों की सुरक्षा में कटौती कर दी गई. सरकार के इस फैसले से शिवसेना के नेता काफी नाराज हैं. शिवसेना का कहना है कि फडणवीस सरकार में उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है.
शिवसेना के विधायकों की सुरक्षा में कटौती
दरअसल, महाराष्ट्र पुलिस ने शिवसेना के करीब 25 मौजूदा और पूर्व विधायकों की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला लिया है. सिक्योरिटी में कटौती के इस फैसले से शिवसेना नेता काफी नाराज हैं. शिवसेना के कुछ नेता दबी जुबान में कह रहे हैं कि देवेंद्र फडणवीस की सरकार में उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है. बता दें कि, महाराष्ट्र का गृह मंत्रालय सीएम देवेंद्र फडणवीस के पास ही है. एक आईपीएस अधिकारी के मुताबिक, जिन विधायकों की सुरक्षा में कटौती की गई है, उनकी सुरक्षा के लिए करीब 600 पुलिसकर्मियों की जरूरत पड़ती थी. जिससे बाकी काम प्रभावित होते थे.
मंत्रिमंडल में शामिल विधायकों को मिलेगी सुरक्षा
बता दें कि महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने विधायकों की सुरक्षा में कटौती करने का फैसला लिया है. नए फैसले के मुताबिक, शिवसेना के सिर्फ उन विधायकों को ही सुरक्षा मिलेगी, जो मंत्रिमंडल में शामिल हैं या फिर जिनकी जान को खतरा है. जबकि बाकी विधायकों को अन्य विधायकों की तरह ही सुरक्षा में सिर्फ एक पुलिसकर्मी को तैनात किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, ये नियम सिर्फ शिवसेना के ही विधायकों के लिए लागू नहीं होगा बल्कि अन्य दलों के नेताओं की सुरक्षा में भी कटौती की गई है.
2022 में बढ़ाई गई थी विधायकों की सुरक्षा
इससे पहले शिवसेना विधायकों के साथ फ्लैशिंग लाइट वाला वाहन भी रहता था, जिसे हाई सिक्योरिटी वाले नेताओं को दिया जाता है. बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर दी थी और वह 40 से ज्यादा विधायकों के साथ बीजेपी के साथ आ गए. इस बगावत के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई. हालांकि बाद में शिंदे गुट को ही शिवसेना का दर्जा मिल गया. उसके बाद से ही शिवसेना के विधायकों को कड़ी सुरक्षा मिली हुई थी. साल 2022 में जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने, तब देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, तब भी गृह विभाग फडणवीस के पास ही था.
कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए शिंदे
बताया जा रहा है हाल ही में हुई कैबिनेट की कई बैठकों से एकनाथ शिंदे नदारद रहे. जबकि शिवसेना के दो मंत्री भी गार्जियन मिनिस्टरशिप को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं. यही नहीं हाल ही में शिवसेना उद्धव गुट के कई नेताओं ने भी देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है. इसे लेकर भी शिंटे गुट नाराज बताया जा रहा है.