महाराष्ट्र सरकार ने साल के शुरुआत में भीमा कोरेगांव में हुए जातिगत हिंसा में सभी आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में मंगलवार को इसकी घोषणा की।
साथ ही राज्य सरकार ने हिंसा के दौरान लोगों को हुए नुकसान पर हर्जाने की राशि भी देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'गंभीर मामलों पर फैसला उपयुक्त सोच विचार करने के बाद समिति के द्वारा लिया जाएगा और वह तीन महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।'
भीमा कोरेगांव में हुए हिंसा के बाद राज्य भर में हुए बंदी के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने कुल 162 लोगों के खिलाफ 58 मामलों को दर्ज किया था।
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा
बता दें कि 1 जनवरी को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में हुए दंगे में एक युवक की मौत हो गई थी साथ ही 10 पुलिस कर्मी सहित कई लोग घायल हो गए थे।
महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर नए साल के एक दिन पहले दलित समुदाय के लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें कई बड़े लोगों ने 'एल्गार परिषद' में हिस्सा लिया था।
कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों के द्वारा भगवा झंडा लहराते हुए भीड़ की तरफ पत्थर फेंकने के बाद हिंसा शुरू हो गई थी। जिसके बाद पुणे में हर तरफ विरोध प्रदर्शन हुआ।
दलित कार्यकर्ताओं ने 2 जनवरी को मुंबई में भी विरोध प्रदर्शन किया। इसी प्रदर्शन के दौरान एक युवक की मौत हो गई। इस हिंसा के बाद गुजरात के बडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर खालिद के खिलाफ भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।
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Source : News Nation Bureau