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भीमा कोरेगांव मामला: हाईकोर्ट ने आरोपी से पूछा- घर में क्यों रखी थी भड़काऊ चीजें

कोर्ट ने सवाल करते हुए वेरनॉन गोंजाल्विस से कहा कि इन सभी चीजों को देखकर पहली नजर में तो यही लगता है कि आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा थे

कोर्ट ने सवाल करते हुए वेरनॉन गोंजाल्विस से कहा कि इन सभी चीजों को देखकर पहली नजर में तो यही लगता है कि आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा थे

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Aditi Sharma
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भीमा कोरेगांव मामला: हाईकोर्ट ने आरोपी से पूछा- घर में क्यों रखी थी भड़काऊ चीजें

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वेरनॉन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वेरनॉन गोंजाल्विस से कई सवाल पूछे. ये सवाल टॉलस्टॉय की किताब 'वॉर एंड पीस' समेत कई आपत्तिनजक चीजों के उनके पास पाए जाने को लेकर थे. कोर्ट ने उनसे पूछा कि आखिर उनके पास ये सारी चीजें क्यों थीं?

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कोर्ट ने सवाल करते हुए वेरनॉन गोंजाल्विस से कहा कि इन सभी चीजों को देखकर पहली नजर में तो यही लगता है कि आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा थे. इन किताबों से यह संकेत भी मिलते हैं कि आप राज्य के खिलाफ कुछ सामग्री रखते थे. दरअसल इस मामले में पुलिस ने दावा किया है कि गोंजाल्विस के घर पर छापेमारी के दौरान जो सीडी और बाकी भड़काऊ सबूत मिले हैं उनमें 'वॉर एंड पीस' की किताब भी शामिल हैं.

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इसके अलावा उनके घर से राज्य दमन विरोधी कबीर कला मंच की सीडी, मार्क्सिस्ट आर्काइव्स, जय भीमा कामरेड, अंडरस्टैंडिंग माओइस्ट, आरसीपी रीव्यू के अलावा नेशनल स्टडी सर्किल द्वारा जारी परिपत्र की प्रतियां भी मिली थीं.

क्या है पूरा मामला

बता दें, पुणे पुलिस का दावा था कि, 31 दिसंबर 2017 को आयोजित किए गए एलगार परिषद कार्यक्रम में माओवादियों ने समर्थन किया था और उस कार्यक्रम में उकसाने वाले भाषण दिए गए थे जिससे अगले दिन वहां हिंसा हुई थी. पिछले साल 28 अगस्त को देशभर में कई जगहों पर छापे मारे थे और माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं कवि वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वेरनॉन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था. इसी सिलसिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी और आनंद तेलतुंबडे समेत कई अन्य के खिलाफ भी छापे मारे गए थे.

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एलगार परिषद सम्मेलन का इतिहास

गौरतलब है कि अंग्रेजों और मराठों के बीच हुए तीसरे ऐतिहासिक युद्ध की बरसी की याद में होने वाले समारोह में लोग यहां एकत्र होते हैं. यह युद्ध सबल अंग्रेजी सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच हुई थी जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी. अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे.

अंग्रेजों ने बाद में वहां विजय-स्तंभ बनवाया था. दलित जातियों के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय के प्रतीक मानते हैं और यहां नए साल पर 1 जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता है.

Vernon Gonzalves Bhima Koregaon Issue Bombay High Court Bhima Koregaon case
      
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