देश में जातीय राजनीति के बीच ये नेता करते हैं स्किल और डेवलपमेंट की बात, चुनाव में किसे मिलेगा फायदा?

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर जमकर जातीय राजनीति हो रही है. वहीं, नितिन गडकरी और चंद्रबाबू नायडू उन नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं, जो स्किल और विकास की बात करते हैं.

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Vineeta Kumari
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नायडू और गडकरी

Maharastra Elections: लोकसभा चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या फिर देश में कोई भी चुनाव हो. हर राजनीति पार्टी जातीय सियासत पर उतर जाते हैं. वोटर्स को लुभाने के लिए पक्ष-विपक्ष आरक्षण की बात करते हैं. इस बीच देश में कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो जातीय राजनीति से दूर स्किल और डेवलपमेंट पर बात करना पसंद करते हैं. 

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नायडू और गडकरी की अलग राजनीति

इन नेताओं में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का नाम शामिल है. हरियाणा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंदुओं को एक साथ रहने की बात करते हुए बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया था. योगी अपने इस नारे के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनावी सभा को संबोधित करते नजर आ रहे हैं. उनके अलावा कई ऐसे नेता हैं तो हिंदू-मुस्लिम करते नजर आ रहे हैं.

विकास पर भरोसा करते हैं गडकरी

वहीं, जब नितिन गडकरी से एक मीडिया चैनल ने इंटरव्यू में बटेंगे तो कटेंगे के नारे पर सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं जाति, धर्म या भाषा के आधार पर काम नहीं करता हूं. मैं देश के लिए काम करता हूं. वहीं, नारे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि हम देशवासियों को एकजुट कर रहना है ताकि हम बाहरी खतरों से देश की रक्षा कर सके.

बंटेंगे तो कटेंगे पर गडकरी ने कह दी बड़ी बात

देश का बंटवारा जातियों में नहीं होना चाहिए बल्कि देश के विकास के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास जरूरी है. साथ ही गडकरी ने अपने काम पर बोलते हुए कहा कि आज हाईवे व सड़कों के निर्माण से देश में इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार बढ़ रहे हैं. 

नायडू ने बदल दी हैदराबाद की तस्वीर

गडकरी के अलावा आंध्र के सीएम नायडू की बात करें तो वह हमेशा से ही स्किल सेंसस की बात करते हैं. 2024 में नायडू चौथी बार बहुमत से चुनाव जीतकर आंध्र के मुख्यमंत्री बने. हैदराबाद को साइबर सिटी बनाने के पीछे अगर किसी का हाथ माना जाता है तो वह नायडू का ही. हैदराबाद में आईटी क्रांति लाकर बेंगलुरु को टक्कर देने वाले नायडू ने हमेशा देश की युवाओं की बात की है और उनके स्किल पर जोर दिया है.

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युवाओं की स्किल सेंसस पर काम करते हैं नायडू

उनका कहना है कि हमें युवाओं की स्किल का पता करना पड़ेगा ताकि विश्व स्तर की युवाओं से उनकी तुलना कर सकेंगे और उनकी जरूरतों के हिसाब से कमियों को दूर कर हम क्षेत्र का विकास कर सकेंगे. नायडू पहली बार 1995 में सीएम बने थे. अपने पहले ही कार्यकाल में उन्होंने प्रदेश की तस्वीर बदल दी थी. 

देश की राजनीति में जातीय राजनीति हावी

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा को लेकर सभी पार्टियां जोरशोर से तैयारी में जुटी हुई है. पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच कई नेता खुलकर जातिवाद की राजनीति करते नजर आ रहे हैं. अब देखना यह है कि देश में जातीय राजनीति के हावी हो चुकी है या फिर लोग विकास की राजनीति पर भरोसा जताते हैं. 

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