महायुति के पोस्टर से अजित पवार गायब, चुनाव से पहले बदल बदली रणनीति

महायुति के पोस्टर से अजित पवार गायब नजर आ रहे हैं. कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक रणनीति भी करार दे रहे हैं. क्या चुनाव से पहले सियासी समीकरण बदल जाएगा?

महायुति के पोस्टर से अजित पवार गायब नजर आ रहे हैं. कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक रणनीति भी करार दे रहे हैं. क्या चुनाव से पहले सियासी समीकरण बदल जाएगा?

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Vineeta Kumari
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Ajit Pawar: महायुति के पोस्टर से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार अचानक से गायब हो गए हैं. जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को कुछ ही दिन शेष बच गए हैं. इस बीच महायुति जगह-जगह पोस्टर लगाती नजर आ रही है, लेकिन इस सब पोस्टर से अजित पवार गायब नजर आ रहे हैं. 

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महायुति के पोस्टर से अजित पवार गायब

हालांकि पहले भी इस तरह के पोस्टर विदर्भ में लगाए गए थे, लेकिन उस समय इसे ज्यादा हवा नहीं दी गई क्योंकि विदर्भ क्षेत्र में पवार की स्थिति काफी मजबूत नहीं मानी जाती है. वहीं, पश्चिम महाराष्ट्र में भी महायुति के लगाए गए पोस्टर में अजित पवार नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि पश्चिम महाराष्ट्र अजित पवार के प्रभाव वाला क्षेत्र कहा जाता है.

लगाए जा रहे हैं तरह-तरह के कयास

इस पोस्टर में सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंड्र फडणवीस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आ रहे हैं, लेकिन अजित पवार को पोस्टर में जगह नहीं दी गई है. यहां तक कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा लागू मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहिन योजना के प्रचार वीडियो में भी अजित पवार नजर नहीं आ रहे हैं. जबकि वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने ही इस योजना की घोषणा की थी. हालांकि फडणवीस कई बार यह कह चुके हैं कि उनका और पावर का गठबंधन राजनीतिक है. 

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नवाब मलिक को टिकट मिलने से बीजेपी नाराज

वहीं, शिवसेना के साथ प्राकृतिक गठबंधन है. बीजेपी के बार-बार मना करने और आपत्ति के बाद भी अजित पवार ने नवाब मलिक को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है. इतना ही नहीं उन्होंने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को और बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को भी एनसीपी से टिकट दिया है.

विधानसभा चुनाव में बदली रणनीति

महायुति के साथ रहने के बाद भी अजित पवार हमेशा फुले, आंबेडकर, शाहू की विचारधारा के रास्ते पर चलने की बात कहते रहते हैं. उन्होंने इस बार भी 10 फीसदी उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है. वहीं, कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक रणनीति भी करार दे रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव में साथ होते हुए भी गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. इसलिए विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग दिखने की कोशिश कर रहे हैं.  

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