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महाराष्ट्र पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने जबरन तुड़वाई लड़कियों की भूख हड़ताल

तड़के तीन बजे पुलिस की टीम ने आंदोलन के लिए लगाए गए शामियाने, बैनर और पोस्टरों को उखाड़ फेंका, क्योंकि स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि वे अवैध रूप से लगाए गए हैं

तड़के तीन बजे पुलिस की टीम ने आंदोलन के लिए लगाए गए शामियाने, बैनर और पोस्टरों को उखाड़ फेंका, क्योंकि स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि वे अवैध रूप से लगाए गए हैं

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Akanksha Tiwari
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महाराष्ट्र पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने जबरन तुड़वाई लड़कियों की भूख हड़ताल

महाराष्ट्र पुलिस ने तुड़वाई लड़कियों की भूख हड़ताल

अहमदनगर : महाराष्ट्र पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने शनिवार को अहमदनगर जिले के पुंताम्बा गांव में गरीब किसानों की तीन बेटियों द्वारा पिछले छह दिनों से जारी भूख हड़ताल जबरन तुड़वा दी, जिससे राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. पुलिस की एक टीम ने तड़के एक शामियाने पर धावा बोला और वहां अपने रिश्तेदारों व समर्थकों के साथ भूख हड़ताल पर बैठीं तीन में से दो लड़िकयों निकिता जाधव (20) और पूनम जाधव (19) को वे उठाकर अहमदनगर सिविल अस्पताल ले गए. तड़के तीन बजे पुलिस की टीम ने आंदोलन के लिए लगाए गए शामियाने, बैनर और पोस्टरों को उखाड़ फेंका, क्योंकि स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि वे अवैध रूप से लगाए गए हैं.

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लड़कियों के साथ प्रदर्शन कर रहे रिश्तेदारों व समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया, और वहां मौजूद तमाशबीनों को खदेड़ दिया गया. पुलिस की इस कार्रवाई से गुस्साए पुंताम्बा ग्रामीणों ने बंद आयोजित किया और 19 वर्षीय शुभांगी जाधव सहित शुक्रवार को अस्पताल ले जाई गईं लड़कियों को तुरंत रिहा करने की मांग की. गांव में बीते तीन दिनों के दौरान यह दूसरा बंद है. रालेगण सिद्धि में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की सप्ताह भर चली भूख हड़ताल के बाद इन तीन लड़कियों की भूख हड़ताल को कई किसान समूहों, सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस व अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था.

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निकिता, शुभांगी और पूनम के साथ-साथ उनके कॉलेज सहपाठियों व दोस्तों ने सभी कृषि ऋण माफ करने, कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी किसानों के लिए पेंशन और कृषि उद्देश्यों के लिए मुफ्त बिजली सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर चार फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी. 6 फरवरी को पुंताम्बा गांव में स्कूली छात्राओं और ग्रामीणों ने काले झंडे के साथ जुलूस निकाला था, जिसमें पड़ोसी गांवों के लोगों की भागीदारी देखने को मिली थी.

Source : IANS

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