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40 साल बाद होगी रंग महल मंदिर में पूजा, इस वजह से था बंद

हिंदू आस्था और अमरकंटक पुजारियों के बताए अनुसार, कहा जाता है कि रंग महला मंदिर के अंदर विराजे पातालेश्वर मंदिर में श्रवण मास में खुद गंगा मां मंदिर में आती है और शिव का अभिषेक करती हैं.

Updated on: 18 Sep 2022, 11:39 PM

भोपाल:

40 साल से पूजा से वंचित हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र प्राचीन रंग महला मंदिर में कोर्ट के आदेश के बाद अब विधि विधान से पूजा होगी. मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा मंदिर के सामने प्राचीन कलचुरी कालीन रंग महल मंदिर जिसकी भव्यता सुंदरता देखने बनती है, जो कल्चुरी कालीन सैकड़ों साल का प्राचीन मंदिर है. यहां विष्णु , पातालेश्वर शिव, सत्यनारायण भगवान विराजे हैं और इन मंदिरों में पूजा-पाठ लगभग 40 सालों से बंद थी.

मंदिर परिसर को पुरातत्व विभाग का अधिग्रहण था और पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वर्गीय स्वामी स्वरूपानंद ने भारत सरकार पुरातत्व विभाग स्टेट गवर्नमेंट के खिलाफ पूजा पाठ की अनुमति की मांग को लेकर 7 साल पहले 2015 में अपर सत्र न्यायालय राजेंद्रग्राम में याचिका दर्ज करवाई थी. जिसकी जिरह शंकराचार्य के वकील मुरली धर शर्मा एवम श्री धर शर्मा ने की थी. मंदिर परिसर क्षेत्र और मंदिरों की संपूर्ण देखरेख और पूजा पाठ का उत्तरादयी द्वारिका शारदा पीठ की है. इस वाद को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने द्वारिका शारदा पीठ के पक्ष में फैसला देते हुए मंदिरों पर पीठ द्वारा देखरेख एवं पूजा-पाठ करने की अनुमति प्रदान कर राज्य सरकार पुरातत्व विभाग, जिला कलेक्टर को आदेश की प्रतिलिपी भेजी गई. 

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हिंदू आस्था और अमरकंटक पुजारियों के बताए अनुसार, कहा जाता है कि रंग महला मंदिर के अंदर विराजे पातालेश्वर मंदिर में श्रवण मास में खुद गंगा मां मंदिर में आती है और शिव का अभिषेक करती हैं. आस्था के  इस बड़े केंद्र मंदिर को पूजा पाठ से वंचित  कर कहीं न कही क्षेत्रवासियों के अंदर रोष था. आदेश के आने के बाद क्षेत्र वासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी.  प्राचीन मंदिर जहां पहले से लोग जाते थे वहां पूजा करते थे और आराधना करते थे जो अमरकंटकवासियों का आस्था का केंद्र था, वह मंदिर बिना पूजा-पाठ के जर्जर स्थिति में था. सिविल कोर्ट पुष्पराजगढ़  के आदेश के बाद अब वहां पूजा पाठ होगी.  सभी मंदिरों में पुजारी भी नियुक्त किए जाएंगे. पंचायत शंकराचार्य द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद ने पूजा पाठ को लेकर भारत सरकार के खिलाफ पूजा रोकने के खिलाफ केस दर्ज करवाया था जिस पर 8 साल बाद इस पर फैसला आया है.
गौरतलब है कि 7  दिन पहले ही द्वारिका शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरवस्ती का दुखद निधन हुआ था जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी अविमुक्तेसरानन्द महाराज को द्वारिकाशारदा पीठ के शंकराचार्य बनाए गए और उन्होंने इस खुशी को परमपूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वर्गीय स्वरूपा नंद सरस्वती की जीत बताई और खुशी व्यक्त की.