वाह क्या बात है! यहां गोबर से फर्राटे भरेंगी गाड़ियां, PM मोदी ने वर्चुअली बायो CNG प्लांट का किया शुभारंभ

Gwalior Bio CNG plant: इस बायो सीएनजी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से किया. इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे.

Gwalior Bio CNG plant: इस बायो सीएनजी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से किया. इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे.

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Yashodhan.Sharma
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Gwalior Bio CNG plant: मध्य प्रदेश में गोबर से वाहन फर्राटे भरेंगे. यहां अब बायो सीएनजी बनाई जाएगी. इसके लिए ग्वालियर में स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी लाल टिपारा गोशाला में इसका प्लांट तैयार हो गया है. बुधवार को इस बायो सीएनजी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से किया. इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे.

2 टन बायो सीएनजी को तैयार किया जाएगा

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बता दें कि इस गोशाला का रखरखाव कुछ वर्ष पहले संतों के जिम्मे आया तो यह देश की सबसे आदर्श गौशाला बन गई, जहां लोग अपना जन्मदिन से लेकर मेरिज एनिवर्सरी तक मनाने आते हैं. इस गौशाला में अभी 9850 गौवंश मौजूद है. यहां हर रोज 100 टन गोबर निकलता है, इससे यहां स्थापित हो रहे संयंत्र से अभी 2 टन बायो सीएनजी तैयार होगी. 

आम लोगों से क्या कनेक्शन

गोशाला के प्रबंधन से जुड़े संत स्वामी ऋषभ देवानंद का कहना है कि यह मध्य प्रदेश में किसी गौशाला में अनूठी पहल है. वहीं, इस प्लांट से तैयार गैस से ग्वालियर नगर निगम के वाहन तो चलेंगे ही साथ ही इसे आम लोगों को उपयोग के लिए भी देने की योजना है. गोबर सच में धन के रूप में बदलेगा. इसके अलावा गैस बनने के बाद निकलने वाले वेस्ट को खेती में उपयोग के लिए बेचा जाएगा.

31 करोड़ का हुआ है खर्चा

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि इसकी स्थापना पर लगभग 31 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. यह खर्च इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन ने उठाया है. गोबर से गैस बनाने वाला राज्य का अपने तरह का यह पहला संयंत्र है. इंदौर में पहले से बायो सीएनजी प्लांट है, लेकिन वहां इसके लिए गीले कचरे का उपयोग किया जाता है, जबकि यहां सिर्फ गोबर का उपयोग होगा, जो कि गौवंश का होगा.

दरअसल, इस समय बायो सीएनजी की मांग सामान्य सीएनजी से ज्यादा है, क्योंकि बायो सीएनजी में 95 फीसदी मीथेन होता है जबकि सामान्य सीएनजी में 90 फीसदी. यही वजह है कि बायो सीएनजी से चलने वाले वाहनों का माइलेज ज्यादा निकलता है.

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