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देखें तस्वीरें भी : आठ लोगों को रौंदती हुईं निकल गईं सैकड़ों गायें, जानें फिर क्‍या हुआ

आपके बगल से गाय गुजरे और सिर थोड़ा हिला दे. यकीन किजिए आप अंदर तक सिहर जाएंगे लेकिन उनका क्‍या जिनके ऊपर से सैकड़ों गायें एक सथा गुजर जाएं. उज्‍जैन के एक गांव में हर साल आठ लोगों को सैकड़ों गायें रौंदती हुई निकल जाती हैं.

आपके बगल से गाय गुजरे और सिर थोड़ा हिला दे. यकीन किजिए आप अंदर तक सिहर जाएंगे लेकिन उनका क्‍या जिनके ऊपर से सैकड़ों गायें एक सथा गुजर जाएं. उज्‍जैन के एक गांव में हर साल आठ लोगों को सैकड़ों गायें रौंदती हुई निकल जाती हैं.

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Drigraj Madheshia
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देखें तस्वीरें भी : आठ लोगों को रौंदती हुईं निकल गईं सैकड़ों गायें, जानें फिर क्‍या हुआ

इनके ऊपर से सैकड़ों गायें एक सथा गुजर गईं

आपके बगल से गाय गुजरे और सिर थोड़ा हिला दे. यकीन किजिए आप अंदर तक सिहर जाएंगे लेकिन उनका क्‍या जिनके ऊपर से सैकड़ों गायें एक सथा गुजर जाएं. उज्‍जैन के एक गांव में हर साल आठ लोगों को सैकड़ों गायें रौंदती हुई निकल जाती हैं.

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उज्जैन से 75 किलोमीटर दूर स्थित बडनगर तहसील के गांव भिडावद मे आज अनूठी आस्था देखने को मिली.गांव में सुबह गाय का पूजन किया गया.पूजन के बाद लोग जमीन पर लेट गए और उनके ऊपर से गायें निकाली गई.मान्यता है की ऐसा करने से मन्नतें पूरी होती है और जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वे भी ऐसा करते है. परम्परा के पीछे लोगों का मानना है की गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. गाय के पैरों के नीचे आने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

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दीपावली के दूसरे दिन होने वाले इस आयोजन में जो लोग शामिल होते है उन्हें वर्षों पुरानी परम्परा का निर्वाह करना होता है.परम्परा अनुसार लोग पांच दिन तक उपवास करते हैं और दिपावली के एक दिन पहले गांव के मंदिर में रात गुजारते हैं .सुबह पूजन किया जाता है उसके बाद ढोल नगाड़ों के साथ गांव की परिक्रमा की जाती है .एक और गांव की सभी गायों को एकत्रित किया जाता है और दूसरी तरफ लोग जमीन पर लेटते हैं.

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फिर शुरू होती जान जोखिम में डालने वाली अनूठी परम्परा. आठ लोगों को एक साथ लिटाया जाता है और उन पर सैकड़ों गाएं इन्‍हें रौंदती निकल जाती हैं. इसके बाद मन्नत करने वाले उठ खडे़ होते हैं और ढोल की धुन पर नाचने लगते हैं. ताज्‍जुब की बात ये हैं कि वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में आज तक कोई अस्‍पताल नहीं पहुंचा, हलांकि इसमें चोट तो लगती है मगर मामूली.

Source : ASHISH SISODIA

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