उमा भारती (Photo Credit: ani)
भोपाल:
राजनीति में अनेक सफर तय कर चुकीं उमा भारती (Uma Bharti) ने अब सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए अपने जीवन का वृतांत लोगों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है. उमा के जीवन से जुड़े खुलासे ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. उमा प्रदेश में लगातार शराबबंदी की मांग कर रही हैं. उनकी इस मांग पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. इसे लेकर उन्होंने आंदोलन और गांधी जयंती पर महिलाओं के साथ मार्च करने की चेतावनी भी दी है. भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्ढा को भी पत्र लिखकर उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए हैं.
उमा ने अपने जीवन का वृत्तांत सुनाने का प्रारंभ दो घटनाओं से किया है. इसमें एक घटना में उन्होंने बताया कि गंगा की अविरलता पर उनके मंत्रालय के द्वारा दिया गया एफिडेविट सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय के विपरित था. उन्होंने लिखा कि गंगा पर प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट के लिए तीन मंत्रालय ऊर्जा, पर्यावरण और जल संसाधन को मिलाकर एफिडेविट बनाना था. तीनों मंत्रालयों में सहमति नहीं बन पा रही थी. उमा ने लिखा कि बिना किसी से परामर्श किए मैंने कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया. इस पर उत्तखंड सरकार ने असहमति दर्ज की. फिर अदालत ने केन्द्र सरकार से परामर्श कर एफिडेविट को अमान्य कर दिया. इसके बाद मंत्रिमंडल से उनका विभाग बदल दिया गया.
एक और घटना उन्होंने हरियाणा के निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा को लेकर बिना उनका नाम लिखे बताई है. इसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार उन्होंने कांडा का विरोध किया था. इसके बाद भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यसमिति में वे पदाधिकारी नहीं रहीं. उमा भाजपा में अनेक पदों पर रही हैं. मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री, केन्द्र सरकार में मंत्री, सांसद, राष्ट्रिय उपाध्यक्ष जैसे अनेक पदों पर वे रही हैं. ऐसे में उनके जीवन वृत्तांत से अनेक रहस्यों से पर्दा उठ सकता है.
उमा के खुलासे भाजपा के नेताओं की मुसीबतें बढ़ा सकते हैं. 2003 में मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद उमा मुख्यमंत्री बनायी गई थीं. इसके बाद उनका मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, 2005 में भाजपा छोड़ना और वापस भाजपा में प्रवेश जैसे अनेक प्रसंग हैं जो कि देश की राजनीति में हलचल मचा सकते हैं. उमा भारती के जीवन के यह प्रसंग गुरू पूर्णिमा से लेकर रक्षा बंधन चलेंगे. इससे साफ है कि जुलाई और अगस्त के माह में उमा राजनीति में हलचल मचाती रहेंगी.