MP में बदली सरकार लेकिन फिर भी अन्नदाताओं की किस्मत में मौत, कमलनाथ के आने के बाद तीन किसानों ने दी जान
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के जाने और कांग्रेस नेता कमलनाथ की सरकार बनने के बाद भी किसानों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
भोपाल:
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार जाने और कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी किसानों की आत्महत्या का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. जबकि कांग्रेस ने सरकार में आते ही सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ करने का ही फैसला लिया था. ताजा मामला एमपी के शाजापुर का है जहां एक किसान ने कर्ज के बोझ तले डूबे होने की वजह से जहर खाकर अपनी जान दे दी. दो दिन पहले भी पंधाना इलाके में एक किसान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. बीते दिनों मध्य प्रदेश के खंडवा में भी 45 साल के एक किसान ने पेड़ से लटक कर अपनी जान दे दी थी.
किसान की मौत की वजह बताई जा रही है कि सरकार ने कर्जमाफी का जो ऐलान किया था वो किसान उस दायरे में नहीं आ रहा था जिसकी वजह से बेहद परेशान था. मृतक किसान के भाई के मुताबिक उसने 31 मार्च के बाद 3 लाख रुपेय का कर्ज खेती के लिए था जो कि माफी के दायरे से बाहर है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था.
कितना है किसानों पर कर्ज
मध्य प्रदेश के किसानों पर सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. इसमें 56 हजार करोड़ रुपये का कर्ज 41 लाख किसानों ने लिया है. वहीं, लगभग 15 हजार करोड़ रुपये डूबत कर्ज (एनपीए) है. कमलनाथ सरकार द्वारा किसानों के दो लाख (2 लाख) की सीमा तक का 31 मार्च, 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ करने का आदेश जारी कर दिया गया. राज्य शासन के इस निर्णय से लगभग 34 लाख किसान लाभान्वित होंगे. फसल ऋण माफी पर संभावित व्यय 35 से 38 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है.
किसानों द्वारा ट्रैक्टर व कुआं सहित अन्य उपकरणों के लिए कर्ज लिया गया है तो उसे कर्ज माफी के दायरे में नहीं लिया जाएगा. सिर्फ खेती के लिए उठाए कर्ज पर माफी मिलेगी. इसमें भी यदि किसान ने दो या तीन बैंक से कर्ज ले रखा है तो सिर्फ सहकारी बैंक का कर्ज माफ होगा. कर्ज माफी कुल दो लाख रुपये तक ही होगी. इसके लिए पहले किसान को कालातीत बकाया राशि बैंक को वापस लौटानी होगी. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री बनने और उनके साथ होने वाली बैठक में होगा.
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को मतदान हुआ था और 11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं. यह संख्या साधारण बहुमत, 116 सीट, से दो कम हैं. हालांकि बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. जिससे कांग्रेस को फिलहाल कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं, BJP को 109 सीटें मिली हैं.
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