मध्य प्रदेश की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस जहां एक तरफ गुटबाजी से ग्रस्त है, वहीं उसके पास पूर्ण बहुमत से दो विधायक कम होने की वजह से सरकार बचाने की चुनौती भी है. बसपा-2, सपा-1 और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कमलनाथ सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक सरकार से जब-तब नाखुशी जाहिर करते रहे हैं. ऐसे में भाजपा (108) इनको अपने पाले में लाकर विधायकों की संख्या 115 तक पहुंचाने की जुगत में है और वर्तमान में 229 सीटों की विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत होगा. एक सीट पर उपचुनाव होना बाकी है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गैर कांग्रेसी विधायकों के समर्थन से चल रही है और इन विधायकों पर भाजपा की नजर है, ताकि वह विषम हालात में कांग्रेस की सरकार को नुकसान पहुंचा सके. कमलनाथ सरकार के पास पूर्ण बहुमत से दो विधायकों का आंकड़ा कम है.
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230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों की आवश्यकता है. कांग्रेस सरकार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो, समाजवादी पार्टी (सपा) के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायक हो जाते हैं. वहीं भाजपा के पास 108 विधायक हैं. एक सीट खाली है, जहां आने वाले समय में उपचुनाव होना है. कांग्रेस सरकार को बड़ा खतरा इन्हीं बाहरी विधायकों से है. यही कारण है कि कांग्रेस सरकार के मंत्री इन विधायकों की अधिक सुनते हैं. वर्तमान में एक तरफ कांग्रेस में असंतोष चल रहा है और कई नेताओं के तेवर बागी हो चले हैं. इसका लाभ भाजपा ने उठाने का मन बनाया है.
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सूत्रों का कहना है कि भाजपा इन गैर कांग्रेसी विधायकों पर डोरे डालना चाहती है. गाहे बगाहे निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा, बसपा की राम बाई, सपा के राजेश शुक्ला के बयान आते रहते हैं, जिससे पता चलता है कि वे सरकार से खुश नहीं हैं. यही कारण है कि आने वाले दिनों में भाजपा अपनी रणनीति को अंजाम देने की जुगत में है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के 108 विधायक हैं और अगर कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों का भाजपा को साथ मिल जाता है तो आंकड़ा 115 पहुंच जाएगा और वर्तमान में 229 विधायकों की विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत होगा.
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वर्तमान में कांग्रेस में नेताओं के बीच तनातनी का दौर जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ आदिवासी मंत्री उमंग सिंघार ने मोर्चा खोल रखा है, तो सिंघार का साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दिया है. इसके चलते सरकार को समर्थन दे रहे ये बाहरी विधायक भी असमंजस में हैं और भाजपा इसी स्थिति का लाभ उठाने की तैयारी में है. भाजपा के तमाम नेता सरकार बनाने की बात तो नहीं कर रहे, मगर यह जरूर कह रहे हैं कि यह सरकार अपने ही बोझ से गिर जाएगी.
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