देश का पहला सोलर विलेज बना मध्यप्रदेश का ये गांव, सौर ऊर्जा से बनता है हर घर में खाना

दावा है कि ये दुनिया का पहला सोलर विलेज है, जहां हर घर सूरज की रोशनी से रोशन है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
देश का पहला सोलर विलेज बना मध्यप्रदेश का ये गांव, सौर ऊर्जा से बनता है हर घर में खाना

फाइल फोटो

मध्य प्रदेश के बैतूल का एक गांव सोलर विलेज बन गया है. दावा है कि ये दुनिया का पहला सोलर विलेज है, जहां हर घर सूरज की रोशनी से रोशन है. यहां सौर ऊर्जा से बिजली के उपकरण चल रहे हैं. आईआईटी मुंबई, ONGC और विद्या भारतीय शिक्षण संस्थान दावा कर रहे हैं कि बैतूल जिले का बांचा देश का पहला ऐसा गांव है जहां किसी घर में लकड़ी का चूल्हा है पर उस पर खाना नहीं बनता. एलपीजी सिलेंडर उपयोग नहीं होता है.

Advertisment

यह भी पढ़ें- आखिर क्यों विधायक ने जनता को दी कमिश्नर को गंदा पानी पिलाने की छूट, जानिए पूरा मामला

बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का एक छोटा-सा आदिवासी बाहुल्य गांव है बाचा. ये हिंदुस्तान के आम गांव से अलग है क्योंकि ये अंधेरे में डूबा हुआ नहीं है. क्योंकि यहां बिजली है. शाम ढलते ही यहां हर घर में बल्ब टिमटिमाने लगते हैं और ये रोशनी उन्हें कोई बिजली कंपनी नहीं मुहैया करा रहीं, बल्कि सूरज की ऊर्जा से तैयार बिजली से ये रोशन हैं. दावा यहां तक है कि ये दुनिया का पहला सोलर विलेज हैं. ये दावा किया है आईआईटी मुंबई के तकनीकी विभाग, ओएनजीसी और विद्या भारती शिक्षण संस्थान ने किया है.

घर के बाहर लगी सोलर प्लेट से ये गांव आदर्श गांव बन गया है. 2017 में बाचा गांव को चुना. इस गांव को सोलर विलेज बनाने के लिए काम शुरू किया गया. पूरे गांव में सोलर पैनल लगा कर बिजली तैयार की गयी. उसके बाद हर घर में जरूरत के मुताबिक बिजली मुहैया करायी गयी और आज परिणाम सामने है. पूरा गांव सौ फीसदी सोलर एनर्जी से रोशन हो रहा है. बाचा अब मॉडल विलेज है, सौर ऊर्जा का ऐसा बेहतर प्रयोग और क्या हो सकता था कि इससे ईंधन की बचत तो हो ही रही है, गांव प्रदूषण से भी बचा हुआ है.

यह भी पढ़ें- भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा की तबीयत बिगड़ी, निजी अस्पताल में भर्ती

ईंधन के लिए अब गांव वालों को लकड़ी की ज़रूरत नहीं, इसलिए लकड़ी के लिए पेड़ों की कटाई रुकने से पर्यावरण संरक्षण अपने आप शुरू हो गया है. बैतूल ज़िले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के इस गांव में सिर्फ 74 गांव हैं. गांव के हर घर की गृहिणी सोलर कुकर में खाना बनाती है. ना चूल्हे का धुआं और ना बिजली या एलपीजी का इंतज़ार. लकड़ी इकट्ठा करने की चिंता नहीं और जंगल भी बच गया. बैतूल के विद्या भारती शिक्षण संस्थान की पहल पर आईआईटी मुम्बई के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने ये कमाल कर दिखाया है.

सौर्य ऊर्जा के इस्तेमाल के कारण ये गांव वाले अब बिजली के लिए कोयले या पानी से बिजली की उपलब्धता पर निर्भर नहीं हैं. सूर्य देव की कृपा से गांव रौशन है. गांव 100 फीसदी प्रदूषण मुक्त है और हर गृहणी का जीवन आसान हो गया है. अब सौर ऊर्जा से चलने वाले इंडक्शन चूल्हे पर काम करती है ग्रहणी.

आईआईटी मुंबई के तकनीकी विशेषज्ञों ने सौर ऊर्जा की यूनिट को अत्याधुनिक बनाया है. उन्होंने गांव के कुछ शिक्षित युवकों को यूनिट के मेंटेनेंस की ट्रेनिंग भी दी है, जिससे यूनिट बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी. ओएनजीसी ने सभी घरों में निःशुल्क चूल्हे उपलब्ध करवाए हैं. इस प्रोजेक्ट को देखने पहुंचे कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने इसकी तारीफ की.

यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की

पर्यावण को सुरक्षित रखने की ये पहल असरदार नज़र आ रही है. हालांकि अभी लागत के हिसाब से ये कुछ महंगा है. लेकिन आईआईटी मुंबई के तकनीकी विशेषज्ञों का दावा है कि अगर मांग बढ़ेगी तो इन सोलर यूनिट की लागत कम होती जाएगी. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में ये एक बेहद सफल मुहिम बन सकती है.

यह वीडियो देखें- 

Madhya Pradesh solar village madhya-pradesh first solar village in india Betul solar village Betul
      
Advertisment