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PM के जन्मदिन पर देश को मिल सकती है चीतों की बड़ी सौगात, पढ़ें यह खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आने वाला जन्मदिन देश के लिए खास माना जा रहा है। दरअसल इस दिन वन्य प्राणियों के क्षेत्र में भारत को चीता मिलने की संभावना है।

Updated on: 02 Sep 2022, 08:13 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आने वाला जन्मदिन देश के लिए खास माना जा रहा है। दरअसल इस दिन वन्य प्राणियों के क्षेत्र में भारत को चीता मिलने की संभावना है। ये बताया जा रहा है कि 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुद ही पहुंचने की संभावना है। ‌ प्रशासनिक अमला अब इसकी तैयारी में जुट गया है। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहा जाता है, लेकिन अब प्रदेश में चीतों की भी दहाड़ जल्द ही सुनाई देने वाली है।‌ और देश को यह सौगात मिलने की संभावना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को। इसे बड़ी उपलब्धि इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत में एशियाई चीते पाए जाते थे जोकि विलुप्त हो गए हैं. अब जो चीते लाए जा रहे हैं वह अफ्रीकी चीता हैं. मध्यप्रदेश में जल्द ही चीतों की दहाड़ सुनाई देगी।

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में बने कूनो अभ्यारण्य‌ में जल्द ही चीते की दहाड़ सुनाई देगी। देश को जल्द ही अफ्रीकन चीजों की सौगात मिलने वाली है। पर यह बताया जा रहा है कि 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीते हवाई जहाज के द्वारा पहले ग्वालियर आएंगे और ग्वालियर एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर द्वारा उन्हें कूनो नेशनल पार्क तक लाया जाएगा। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है और इस दिन भारत को चीतों की सौगात मिलने की संभावना बताई जा रही है। श्योपुर जिले के डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि चीतों के आने की तैयारी जोर शोर से चल रही है। पहले से ही दो हेलीपैड बनाए जा रहे थे अब जिला प्रशासन के आदेश पर पीडब्ल्यूडी विभाग 3 हेलीपैड और बना रहा है। यह तीनों हेलीपैड चीतों की तार फेंसिंग के पास बनाए जा रहे हैं जबकि दो हेलीपैड पालपुर कैंपस में बन रहे हैं। 

प्रधानमंत्री के आने की संभावना इसलिए बढ़ गई है क्योंकि पीएम के काफिले में तीन हेलीकॉप्टर चलते हैं और कूनो में भी तीन हेलीकॉप्टर अलग से बनाए जा रहे हैं। चित्रों को बाड़े में छोड़कर प्रधानमंत्री चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत कर सकते हैं। कूनो में चल रही तैयारियों का जायजा लेने वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल और एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव कूनो नेशनल पार्क आए थे।
नामीबिया से आने वाले चीतों के पहले वहां की एक टीम भी 6 से 8 सितंबर के बीच श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क आएगी और वन क्षेत्र का मुआयना करेगी।

श्योपुर के कुनो नेशनल पॉर्क में अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग को लेकर पार्क प्रबंधन की तैयारिया जोरो पर चल रही हैं। कूनो में अफ्रीकी चीतों के लिए 5 वर्ग किलोमीटर का एक बाड़ा तैयार किया गया है, जिसमें जंगल में छोडऩे से पहले कुछ माह तक चीतों का रखा जाएगा। हाईरेंज सीसीटीवी से इन चीतों पर नजर रखी जाएगी। हर 2 किलोमीटर पर वॉच टॉवर बनाए गए हैं।

चीतों की सुरक्षा 

नए मेहमान चीतों के रहने के लिए विशेष तौर पर  तैयार किये गए बाड़े में छुपे हुए तेंदुए पार्क प्रबंधन के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बने बैठे है।ऐसे में कुनो पार्क में चीतों के बाड़े में छुपे तेंदुए अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग में सबसे बडा रोडा डाले हुए हैं। बताया जाता है कि अभी भी एक तेंदुआ बाड़े में छुपा हुआ है। बाड़े में मौजूद तीन तेंदुओं को निकालने के लिए कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने गजराज की मदद ली जिसके लिए सतपुड़ा नेशनल पार्क से दो हाथी बुलवाए गए और उन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया। हाथियों पर  बैठकर तेन्दुओं की खोज की गई । टेंकुलाइज करके तेंदुओं को बाहर निकाला गया जिनमें बताया जा रहा है कि एक चीता अभी भी छुपा हुआ है।
 
आइए अब आपको बताते हैं कि चीतों की पूरी कहानी-

भारत में पिछले 70 साल से कोई चीता नहीं है। अंतिम चीते की मौत छत्तीसगढ़ में सन 1947 में हुई थी। भारत में एशियाई चीते पाए जाते थे जो अब पूरी तरह विलुप्त हो चुके हैं।  एशियाई चीते और अफ्रीकन चीतों में काफी अंतर है। एशियाई चीतों के सिर और पैर छोटे होते हैं. उनकी चमड़ी और रोएं मोटे होते हैं. अफ्रीकी चीतों के मुकाबले उनकी गर्दन भी मोटी होती है. एशियाई चीते बहुत बड़े दायरे में बसर करते हैं. एक दौर था जब चीते भारत-पाकिस्तान और रूस के साथ-साथ मध्य-पूर्व के देशों में भी पाए जाते थे. लेकिन अब एशिया में सिर्फ ईरान में ही गिनती के चीते रह गए हैं. पहले ईरान से भी भारत में चीतों को लाने की बातें हुई थीं लेकिन आगे बात बन नहीं पायी थी. gfx out


चीता को भारत लाने के लिए लंबे समय से प्रोजेक्ट चल रहा है जिसकी मंजूरी 2019 में मिली थी। प्रोजेक्ट चीता, एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और मध्य प्रदेश सरकार शामिल हैं. इस परियोजना के तहत 8 से 10 चीतों को उनके मूलस्थान नामीबिया/दक्षिण अफ्रीका से हवाई रास्ते से भारत लाया जाएगा और उन्हें मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया जाएगा. कूनो में चीते लाने से पहले कई अभयारण्य पर शोध किया गया। लेकिन आखिर में मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में बने कूनो अभ्यारण को चुना गया। बताया जाता है कि गुणों का वातावरण‌चीतों के अनुकूल है। इस नेशनल पार्क के आसपास कोई गांव नहीं है चीतों को शिकार करने के लिए यह पर्याप्त जगह भी है।


अफ्रीकी देश नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही जगह से कूनो में चीते लाए जाने हैं।‌ चीतों को नामीबिया से जोहान्सबर्ग हवाई मार्ग से लाया जाए इसी दिन जोहान्सबर्ग से दिल्ली लाया जा सकता है। जिसमें करीब 14 घंटे लगेंगे। दिल्ली से ग्वालियर इन्हें चार्टर प्लेन से लाया जाएगा। यहां से कूनो तक सड़क मार्ग से ले जाया जाएगा या फिर ग्वालियर से हेलीकॉप्टर के द्वारा कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाए।
नामीबिया से आने के बाद चीतों को 30 दिन क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें धीरे-धीरे बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया जाएगा। बाद में खुले में भी छोड़ा जाएगा। उनकी छह से आठ महीने तक कड़ी निगरानी रखी जाएगी। चीतों में रेडियो कॉलर लगे होंगे जिससे उन्हें मॉनिटर किया जा सके।  gfx 
भारत में चीतों को लाना काफी दिलचस्प है। 
 ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतने बड़े किसी मांसाहारी जीव को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप ले जाया जा रहा है. इस लिहाज से चीतों की यात्रा काफी रोमांचक और जटिल होने वाली है. चीतों के संरक्षण का ये एक एक अहम प्रोजेक्ट है. 8 चीते आने के बाद अफसरों को उम्मीद है कि 6 साल में कूनो नेशनल पार्क में 50 से 60 चीते दौड़ते नजर आ सकते हैं।