Fake है मिस्त्री का काम कर चुके IAS सुमित की कहानी, जानें इंटरव्‍यू में उनसे क्‍या पूछा गया

यह कहानी है UPSC मे 53वी रैंक हासिल करने वाले सुमित विश्वकर्मा की. सुमित की ज़िन्दगी के राशन में ग़म का कोटा ज़्यादा था और Black में खुशियां खरीदने के लिए पैसे नहीं थे.

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Drigraj Madheshia
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Fake है मिस्त्री का काम कर चुके IAS सुमित की कहानी, जानें इंटरव्‍यू में उनसे क्‍या पूछा गया

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यह कहानी है UPSC मे 53वी रैंक हासिल करने वाले सुमित विश्वकर्मा की. सुमित की ज़िन्दगी के राशन में ग़म का कोटा ज़्यादा था और Black में खुशियां खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. जिस गांव में पैदा हुए वहां रोजगार का आज भी साधन नहीं है. घर में पैसे की कमी के चलते उनके मम्मी-पापा जबलपुर आ गए. जबलपुर में दोनों राजमिस्त्री का काम करने लगे. मम्मी-पापा का हाथ बंटाने के लिए सुमित भी इसी काम में लग गए. सुमित भी राजमिस्त्री बन गए.

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मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की घंसौर तहसील के छोटे से गांव में सुशील का जन्‍म जरूर हुआ था पर सुमित की जिद और लगन ने उन्‍हें वो मुकाम दिला दिया जिसे पाने के लिए उन्‍होंने धूप में गर्रे माटी में काम किया. रात को टिटिमाती रौशनी में किताबों में आंखें फोड़ी. राजमिस्त्री का काम करते-करते ही सुमित ने UPSC परीक्षा की तैयारी की. 29 साल के सुमित को 9 साल मेहनत के बाद कामयाबी मिली. राजमिस्त्री का काम करने वाले सुमित ने UPSC में 53वीं रैंक हासिल कर अपने जज़्बे, जुनून और हौसलों से अपने सपनों को पूरा कर दिखाया. सुमित ने ऐसा करके सफलता की नई कहानी लिख डाली.

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सुमित की पत्नी रश्मि ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की. वह रात 2 बजे तक पढ़ाई करते थे. दिन में मिस्त्री का काम करते थे. जब मिस्त्री का काम पूरा हो जाता फिर सारी रात जागकर पढ़ाई करते. सुमित ने प्राइवेट नौकरी भी की, लेकिन किसी कारण से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.

मध्य प्रदेश में भवन निर्माण करने वाले मजदूरों को 'मिस्त्री' कहते हैं. सुमित विश्वकर्मा भी 'मिस्त्री' है. फाइनल इंटरव्यू में सुमित से पूछा गया OK का फुल फार्म क्या है? सुमित ने कहा objections killed यही अनूठी सोच और लगन से सुमित ने आज नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाया और सुमित आईएएस बन गया. सुमित की कहानी को ट्वीटर पर एक यूजर ने शेयर कर लिखा कि- कल के मिस्त्री, अब कल के कलेक्टर. सुमित विश्वकर्मा ने UPSC मे 53वी रैंक हासिल की है. उन्होंने लिखा कि- जिस इंजीनियरिंग कॉलेज में वो पढ़ते थे उसकी ही इमारत के निर्माण में वो मिस्त्री का काम करते थे.

यह है असली कहानी

अब आते हैं इस कहानी की सच्‍चाई पर. दरअसल सिविल सेवा परीक्षा में 53वीं रैंक पर आने वाले जिस सुमित की अभी ऊपर बात की जा रही है वो है ही नहीं. दरअसल बिहार के सिकंदराबाद के रहने वाले सुमित कुमार का कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 53वीं रैंक मैंने हासिल की है परंतु कुछ प्रतिष्ठित न्यूज चैनलों ने जो कहानी बताई है वो मेरी नहीं है. उन्होंने बताया कि लिस्ट में मेरा नाम सुमित कुमार है, सुमित कुमार विश्वकर्मा नहीं है.

सुमित कुमार ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि न्यूज चैनलों ने गलत जानकारी दी है. उनका कहना है कि जिस सुमित कुमार विश्वकर्मा की 53वीं रैंक आई है वो राजमिस्त्री है परंतु ऐसा नहीं है. मैं राजमिस्त्री नहीं हूं. सुमित कुमार की फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि सिकंदराबाद बिहार के रहने वाले हैं एवं फिलहाल कानपुर उत्तरप्रदेश में रहते हैं. वो IIT Kanpur के छात्र रहे हैं. और अब AIR 53, Civil Services Examination 2018 के बाद Indian Defence Estates Service में ट्रेनी अधिकारी हैं.

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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