सुप्रीम कोर्ट में शिवराज चौहान, कहा मुख्यमंत्री ने की राज्यपाल के आदेश की अवहेलना

इस अर्जी में कहा गया कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है. इस सरकार के एक दिन भी अब सत्ता में बने रहने का अब कोई नैतिक, क़ानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है. मुख्यमंत्री की ओर से अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए विधायकों को धमकी से लेकर प्रलोभ

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Kuldeep Singh
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Shivraj Singh Chauhan

शिवराज चौहान( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

मध्य प्रदेश की सियासी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है. राज्यपाल के आदेश के बाद भी फ्लोर टेस्ट न कराने और विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित करने के मामले को लेकर सोमवार को मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और 9 विधायकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई. इस अर्जी में कहा गया कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है. इस सरकार के एक दिन भी अब सत्ता में बने रहने का अब कोई नैतिक, क़ानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है. मुख्यमंत्री की ओर से अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए विधायकों को धमकी से लेकर प्रलोभन दिये जा रहे हैं. विधायकों की खरीद फरोख्त जारी है.

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अर्जी में कहा गया कि सरकार को अब तक समर्थन दे रहे 22 विधायक 10 मार्च को इस्तीफे दे चुके हैं. इनमें से छह विधायकों के इस्तीफे स्पीकर ने मंजूर भी कर लिए हैं. ऐसी स्थिति में ये सरकार बहुमत खो चुकी है. लिहाजा फ्लोर टेस्ट अब संवैधानिक बाध्यता है. गवर्नर ने 14 मार्च को बजट सत्र की शुरूआत वाले दिन (16 मार्च) मुख्यमंत्री को बहुमत परीक्षण करने को कहा. हालांकि चीफ मिनिस्टर ने उनकी आदेश की अवहेलना की.

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अब फ्लोर टेस्ट को टालना खरीद फरोख्त को ही बढ़ावा देगा. याचिकाकर्ताओं ने 1994 के एस आर बोम्मई समेत कई सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला दिया है. इन फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद अगर सरकार अल्पमत में नज़र आ रही है, तो गवर्नर को सदन के पटल पर बहुमत परीक्षण का आदेश देना चाहिए.

Source : Arvind Singh

Madhya Pradesh Chief Minister Kamalnath Floor Test Supreme Court BJP
      
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