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देवास आश्रम में मूक-बधिर महिलाओं से दुष्कर्म, 1 मां बनी

देवास जिले में स्थित कबीर आश्रम में रहने वाली मूक-बधिर महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है. एक महिला तो गर्भवती भी हो गई और उसने बच्चे को जन्म दिया है.

Updated on: 26 Nov 2020, 11:07 AM

देवास:

मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित कबीर आश्रम में रहने वाली मूक-बधिर महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है. एक महिला तो गर्भवती भी हो गई और उसने बच्चे को जन्म दिया है. पुलिस ने आश्रम से छह महिलाओं को मुक्त कराया है और उन्हें वन स्टॉप सेंटर भेजा गया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जामगोद स्थित कबीर आश्रम की एक मूक-बधिर महिला गर्भवती हो गई, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसने बच्चे को जन्म दिया है. मूक-बधिर महिला आखिर गर्भवती हुई कैसे, इस बात का पता लगाने की कोशिश की गई तो पुलिस और प्रशासन के सामने कई तथ्य सामने आए। आश्रम से छह महिलाओं को छुड़ाया गया.

जिलाधिकारी चंद्रमौली शुक्ला ने संवाददाताओं को बताया कि जामगोद गांव में और एक अन्य स्थान पर कबीर आश्रम है. यहां की एक महिला के गर्भवती होने की बात सामने आने पर इंदौर से काउंसिलिंग के लिए विशेषज्ञों का दल बुलाया गया. साथ ही उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. वहीं, यह पता करने के लिए कि महिला गर्भवती कैसे हुई, इसके लिए तहसीलदार और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी को आश्रम भेजा गया. काउंसिलिंग के जो वीडियो हैं वह देखकर प्रारंभिक तौर पर प्रतीत होता है कि इन महिलाओं/लड़कियों के साथ आश्रम में या आश्रम के बाहर कुछ गलत हरकत हुई है.

शुक्ला ने आगे बताया कि पूरा मामला पुलिस के संज्ञान में है और इसकी विस्तृत जांच की जा रही है. वहीं, इन महिलाओं की सुरक्षा हो सके तो उन्हें वन स्टॉप सेंटर में लाया गया है, जहां उनकी लगातार काउंसिलिंग चल रही है. एक मूक-बधिर महिला के गर्भवती होने के खुलासे और अन्य के साथ गलत हरकत की बात सामने आने के बाद से प्रशासन और हर कोई सकते में है. जिलाधिकारी शुक्ला का कहना है कि अगर यह स्थापित होता है जो बात प्रारंभिक तौर पर प्रतीत हो रहा है कि आश्रम में सेवा के बजाय इनके साथ दुष्कर्म हुआ है तो जितनी भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी, की जाएगी.

जानकारी के अनुसार, इस आश्रम में मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को रखा जाता था. इन महिलाओं के लिए काम किया जाता था. यह आश्रम सेवा कार्य के लिए बनाया गया था. यहां मंदबुद्धि बालिकाओं को आसपास के गांव के लोग भी छोड़ जाते थे, जिनकी यहां देखभाल की जाती थी.