Satna News: देश में चल रही राजनीतिक गतिविधियों के बीच अब संत समाज ने राजनीति के परिष्कार की मांग उठाई है. शंकराचार्य और संत समाज के कई प्रमुख चेहरों ने यह स्पष्ट किया है कि वे राजनीति नहीं करना चाहते, बल्कि भारतीय राजनीति को भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आज देश की मुख्यधारा की राजनीति भारतीय मूल्यों और संस्कृति से दूर होती जा रही है, और ऐसे में राजनीति का परिष्कार अत्यंत आवश्यक हो गया है.
संतों ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब-जब राजनीति भटकी है, साधु-संतों ने हस्तक्षेप कर मार्गदर्शन दिया है. इसी क्रम में 'गौ संसद' की परिकल्पना सामने आई है, जिसके तहत गौ आधारित जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति की जाएगी जैसे गौ सांसद, गौ विधायक, गौ पार्षद और गौ मेयर. उनका कहना है कि ये प्रतिनिधि न केवल गौ माता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होंगे, बल्कि राजनीति को सांस्कृतिक मूल्यों से भी जोड़ेंगे.
संतों ने समलैंगिकता, विवाहेतर संबंधों और गंगा नदी पर बनाए जा रहे बांधों को भारतीय संस्कृति के विपरीत बताते हुए सरकारों की नीतियों की आलोचना की. उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि कई आधुनिक कानून संविधान निर्माताओं की भावनाओं के भी विपरीत हैं.